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पड़ोसी प्रदेशों में 28 प्रतिशत डीए, लेकिन प्रदेश सरकार 12 प्रतिशत पर ही अटकी

locationग्वालियरPublished: Oct 17, 2021 08:13:06 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

कर्मचारी संघ के नेता बोले योजनाओं की लॉचिंग, सब्सिडी के लिए पैसा है पर कर्मचारियों के लिए नहीं
 

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ग्वालियर. मप्र के पड़ोसी प्रदेशों में शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को वहां की सरकारें 28 प्रतिशत डीए (महंगाई भत्ता) दे रही हैं, लेकिन प्रदेश सरकार खजाना खाली होने का रोना रोकर केवल 12 प्रतिशत ही दे रही है। वह भी जुलाई 19 के बाद से अब तक नहीं मिला है। प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों में इस बात को लेकर आक्रोश है। कोविड के दौरान कर्मचारियों ने शांति बनाए रखी, लेकिन अब कर्मचारी प्रदेश सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं।

 

अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह सिकरवार का कहना है कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। वर्तमान में महंगाई हद से पार हो गई है। इसे देखते हुए दूसरे प्रदेशों की सरकारों ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों का डीए 28 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है तो प्रदेश सरकार 12 प्रतिशत पर ही क्यों अटकी है। सरकार खजाना खाली होने का रोना रो रही है अगर सरकार के पास पैसा नहीं है तो नई योजनाओं की लॉचिंग, सब्सिडी समेत और भी कामों के लिए पैसा कहां से आ रहा है। सरकार ने जुलाई 19 के बाद से अब तक डीए की घोषणा तक नहीं की है। योजनाओं का क्रियान्वयन शासन के कर्मचारी ही करते हैं और उनकी सुविधाओं में सरकार कटौती कर रही है। कर्मचारियों की स्थिति अब बर्दाश्त से बाहर हो गई है। अभी तक कर्मचारी कोविड के चलते खामोश थे, लेकिन अब कर्मचारी शांत नहीं रहेगा।

 

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मप्र डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन का कहना है कि आर्थिंग तंगी का बहाना बनाकर कर्मचारियों को डीए के लाभ से वंचित रखेगी। दूसरे प्रदेश की तुलना में मप्र में आधा भी डीए नहीं मिल रहा है। दो साल से वह भी नहीं मिला है कर्मचारियों की खामोशी को कब तक सरकार संभाल लेगी। अब कर्मचारी चुप नहीं बैठेगा इसके लिए प्रदेश स्तर पर आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

 

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मप्र कर्मचारी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रवीन्द्र त्रिपाठी कहते हैं कि शिवराज सरकार ने अब तक पूरे कार्यकाल में कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया है। 2004-05 में पेंशनर्स का 22 महीने का 932 करोड़ रुपए खा गई थी। मुख्यमंत्री का कहना था कि कोविड काल खत्म होते ही कर्मचारियों का पाई-पाई का हिसाब कर देंगे पर अब तक एक पैसा भी नहीं दिया। झारखंड जैसे छोटे से प्रदेश ने अपने कर्मचारियों का 16 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाकर केंद्र के समान कर दिया। पड़ोसी दूसरे प्रदेश ने भी कोविड से सामान्य हालात होने पर अपने कर्मचारियों को डीए दे दिया, लेकिन प्रदेश सरकार ने डीए बढ़ाने की बात तो दूर दो साल से दिया तक नहीं है।

 

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पांच प्रतिशत पर लगा दी थी रोक
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि कमलनाथ सरकार ने जाते-जाते प्रदेश के कर्मचारियों को 5 प्रतिशत डीए दिया था, लेकिन शिवराज सरकार ने उसे भी स्थगित कर दिया।

 

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22 अक्टूबर को भोपाल में प्रदर्शन
डीए की मांग को लेकर प्रदेश के कर्मचारी 22 अक्टूबर को राजधानी भोपाल पहुंचेंगे, जहां प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपेंगे।

देखें वीडियो- लचर स्वास्थ्य सेवाओं की एक और तस्वीर

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