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MP के इस शहर में बनेगा दिव्यागों के लिए देश का पहला वाटर स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर, ये होंगी खूबियां

locationग्वालियरPublished: Jan 08, 2018 02:27:47 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए कयाकिंग और केनोइंग जैसे वाटर स्पोर्ट्स का देश का पहला प्रशिक्षण केन्द्र बनने जा रहा है।

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ग्वालियर/भिंड। भिण्ड शहर का विशाल गौरी तालाब दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए कयाकिंग और केनोइंग जैसे वाटर स्पोर्ट्स का देश का पहला प्रशिक्षण केन्द्र बनने जा रहा है। हाल में स्थानीय बोट क्लब से प्रशिक्षित एक दिव्यांग बालिका खिलाड़ी पूजा ओझा के नेशनल पैरालंपिक कयाकिंग/केनोइंग चेम्पियनशिप में गोल्ड मेडल और थाईलेण्ड में हुई एशियाई पैरालंपिक कयाकिंग/केनोइंग चेम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर आने के बाद नेशनल पैरा कयाकिंग एण्ड केनोइंग एसोसिएशन ने यह निर्णय लिया हैं। इन दिनों सरोवर पर लगभग २५ से ज्यादा दिव्यांग बालक बालिका खिलाड़ी वाटर स्पोट्र्स का प्रशिक्षण ले रहे हैं।

 

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“हमें अगर इंटरनेशनल स्टेण्डर्ड की बोट उपलब्ध हो जाए तो हम ओलंपिंक खेलों में भी पदक जीत सकते हैं।”
पूजा ओझा, एशियन पैरा केनो चेम्पियनशिप की सिल्वर मेडल विजेता स्थानीय दिव्यांग खिलाड़ी

 

10 माह में तैयार हुए ६ नेशनल पैरा प्लेयर
भिण्ड कयाकिंग एण्ड केनोइंग एसोसिएशन (बीकेसीए) के संरक्षक एवं कोच राधेगोपाल यादव ने बताया कि वाटर स्पोर्टर्स में दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए काफी स्कोप है। सामान्य खिलाडिय़ों के लिए मध्यप्रदेश में ही वाटर स्पोट्र्स के कई ट्रेनिंग सेंटर हैं, पर दिव्यांग खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण के देश में कहीं इंतजाम नही हैं। 28 हेक्टेयर में फैला शहर का यह विशाल जलाशय पैरालंपिक वाटर स्पोट्र्स खेलों का पहला ट्रेनिंग सेन्टर बन रहा है।

हमने यहां केवल 10 माह की मामूली ट्रेनिंग के बाद नेशनल/इंटरनेशनल लेबल के ६ दिव्यांग खिलाड़ी तैयार किए हैं। इनमें से 3 नेशनल पैरालंपिक खेलों के मेडलिस्ट हैं और एक खिलाड़ी इंटरनेशनल मेडलिस्ट है। जिस दमखम और उत्साह के साथ दिव्यांग खिलाडिय़ों का रुझान वाटर स्पोर्ट्स की ओर बढ़ रहा है, उससे हमें उम्मीद है कि आगामी दिनों में हमारे खिलाड़ी ओलंपिक खेलों में भी पदक हासिल करेंगे।

संसाधनों का अभाव, दिव्यांगों के लिए जुगाड़ से बनाई कयाक
वाटर स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग के लिए दिव्यांगों को जिन संसाधनों की जरूरत होती है, बीकेसीए के पास उनका अभी अभाव है। हालांकि बोटक्लब के पास बोट शेड, बोट स्टेण्ड, वॉशरूम, चेन्जरूम, यूरीनल/टॉइलेट, पेयजल सुविधा के साथ 12 बोट्स (केनो ओर कयाक), 10 पैडल तथा दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए 03 व्हील चेयर उपलब्ध हैं। बीकेसीए के कोच हितेन्द्रसिंह तोमर के अनुसार, प्रशिक्षार्थी दिव्यांगों के लिए हमें इन्टरनेशनल स्टेण्डर्ड की न्यूनतम 2 नावों और पैडल्स की सख्त आवश्यकता है।

 

इससे हमारे खिलाड़ी आसानी से अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में प्रतियोगिता कर सकेंगे। यहां बताना जरूरी होगा कि गौरी सरोवर पर मई 2017 में पांच दिवसीय नेशनल स्कूल केनो स्प्रिंट एवं नेशनल पुरुष महिला डे्रगन बोट चेम्पियनशिप स्पर्धाओं के सफल आयोजन हो चुके हैं, जिसमें देश भर के लगभग 1000 से ज्यादा खिलाडिय़ों व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खेल अधिकारियों ने भागीदारी की थी।


“दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए हमारे पास विशेष तरह की कयाक, केनो, पैडल और अन्य सहायक सामग्री उपलब्ध नहीं हैं। हमने फिलहाल एक सामान्य कयाक को जुगाड़ से दिव्यांगों के लिए तैयार किया है। इससे प्रशिक्षु दिव्यांग खिलाड़ी तालाब में आसानी से बैलेन्स बना लेते हैं।”
राधेगोपाल यादव, संरक्षक/कोच भिण्ड कयाकिंग एण्ड केनोइंग एसोसिएशन

 

“भिण्ड का गौरी तालाब दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए वाटर स्पोट्र्स का देश का पहला ट्रेनिंग सेन्टर बनने जा रहा है। भिण्ड बोटक्लब को इसके लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराए जाएंगे। भविष्य में यहां पैरा खिलाडिय़ों के लिए समय-समय पर नेशनल और स्टेट लेबल के ट्रेनिंग केम्पों के नियमित आयोजन होंगे जिससे जिले में स्पोट्र्स टूरिज्म को प्रोत्साहन मिलेगा और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर बढ़ेंगे।”
मयंक ठाकुर, चेयरमैन, इण्डियन पैरा कयाकिंग एण्ड केनोइंग एसोसिएशन

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