महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त बिजली तो केवल ओवरफ्लो से बनी है, जबकि सीजन पर किसानों को पानी देते समय तो और भी अधिक बिजली का उत्पादन होगा।गौरतलब है कि इस बार शिवपुरी सहित सिंध के कैचमेंट में हुई झमाझम बारिश के चलते जब नदी उफनी तो मड़ीखेड़ा डैम के गेट 4 सितंबर को खोल दिए गए। उस दौरान विद्युत उत्पादन संयंत्र की तीनों टरबाइन चालू हो गईं थीं और प्रति घंटा 20 यूनिट प्रति टरबाइन के मान से 60 यूनिट बिजली बनती रही।
इसके बाद तो डैम से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम होती गई, इसलिए बिजली का उत्पादन भी अब कम होगा, लेकिन महज 20 दिन में यहां पर 2 करोड़ 9 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन सोमवार की सुबह तक हो चुका था, जबकि बीते वर्ष पूरे साल में मड़ीखेड़ा की विद्युत इकाई ने महज 2 करोड़ 25 लाख यूनिट ही बिजली बनाई।
पिछले वर्ष बांध में पानी कम था और जब सिंचाई के लिए किसानों को पानी छोड़ा गया, उसी समय में विद्युत संयत्र इकाई ने बिजली बनाई।अब जबकि बांध भरा हुआ है और कैचमेंट में हल्की बारिश के बाद ही उसमें जब पानी आता है तो उसे विद्युत इकाई के माध्यम से रिलीज करके बिजली बनाई जा रही है। यानि इस बार जब सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा तो फिर बिजली का उत्पादन हो सकेगा और बनने वाली बिजली का आंकड़ा कई गुना अधिक बढ़ जाएगा।
“दो दिन से 24 घंटे तीनों टरबाइन चल रहीं थीं, लेकिन अब सिंध में पानी कम आने से सोमवार से 9 घंटे ही टरबाइन चल पाएंगी। इसलिए उत्पादन कुछ कम हो जाएगा। अब सिंचाई में पानी जब छोड़ा जाएगा, तो वो पानी विद्युत संयंत्र के माध्यम से ही होकर जाएगा।”
एच गुप्ता, ईई पावर जनरेशन यूनिट मड़ीखेड़ा