इस मंदिर के दर्शन करने के बाद ही नव वर-वधु वैवाहिक जीवन में करते है प्रवेश,ऐसी है इनकी महिमा
शिवलिंग पर चढ़ाने वाला दूध-घी का नहीं चलता पता
इस शिवलिंग की यह विशेषता है कि इस पर चढ़ाया जाने वाला दूध व घी, कहां जाता है वो किसी को नहीं दिखता। इसके पीछे एक कहानी प्रचलित है कि यहां कई साल पहले भंडारा हो रहा था, जिसमें बनाई जा रही मिठाई के लिए घी कम पड़ गया। लोगों ने मंदिर के पास से निकलने वाली पेरकान नदी से पानी के टीन भरकर लेकर कड़ाही में डाला तो वो भी घी बन गया।
उल्का पिंड से गिरने से बने पहाड़ पर बना है ये शिव मंदिर, जाना जाता है टपकेश्वर महादेव के नाम से
ग्राम खोड़ के गहोई समाज के लोग आज भी अखंड ज्योति के लिए एक रुपए किलो के हिसाब से आज भी घी देते हंै।शिवपुरी शहर सहित आस-पास के क्षेत्र में कई प्रसिद्ध शिवमंदिर मौजूद हैं, जहां की अलग-अलग मान्यता हैं। शिवपुरी को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। यह सिंधिया राजवंश की ग्रीमकालीन राजधानी भी रही है। शिवपुरी शहर अपने झरनों के लिए काफी मशहूर भी है।