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महावीर जयंती: ऐसे बने वर्धमान से महावीर, जानिए उनके अनुयायी क्यों कहलाए जैन

locationग्वालियरPublished: Apr 19, 2016 11:18:00 am

Submitted by:

Shyamendra Parihar

महावीर स्वामी की जयंती पर हम आपको उनके जीवन के कुछ जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से रूबरू कराने जा रहे हैं।

mahavir swami jayanti

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ग्वालियर। जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है। ग्वालियर का जैनधर्म से बहुत ही पुराना नाता है। यहां गोपाचल पर्वत और किले के अतिशय क्षेत्रों में जैन तीर्थकरों की अतिप्राचीन प्रतिमाएं हैं। महावीर स्वामी की जयंती पर हम आपको उनके जीवन के कुछ जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से रूबरू कराने जा रहे हैं।


इन्द्रियों पर विजय प्राप्त कर कहलाए जिन
जैन धर्म का संस्थापक यूं तो ऋषभदेव को माना जाना है, लेकिन वास्वविक रूप से जैन धर्म को आकार देना का श्रेय महावीर स्वामी को जाता है। जैन धर्म को ये नाम भी महावीर स्वामी की देन है। अपनी कठोर तपस्या के बाद ऋजुपालिका नदी के तट पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। कठिन तपस्या के दौरान उन्होंने अपनी इन्द्रियों और परिस्थितियों पर अद्भुत नियत्रंण प्राप्त किया। इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने के कारण उन्हें जिन यानि की विजेता कहा गया। जिसके बाद महावीर स्वामी जिन कहलाए और उनके अनुयायियों को जैन कहा जाने लगा।

ऐसे पड़ा उनका नाम महावीर
महावीर स्वामी का जन्म कुंडलग्राम में हुआ है वे जन्म से क्षत्रिय थे और उनके बचपन का नाम वर्धमान था। जातक कथाओं की माने तो वे क्षत्रिय होने के कारण अतिवीर थे और जब वे तपस्या में लीन थे तब उन पर जंगली जानवरों के कई हमले हुए और उन्होंने सहनशीलता और वीरता से सभी को परास्त किया। उनके इसी गुण के कारण उनका नाम महावीर स्वामी हुआ।
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