-सम्मान निधि ले रहे 235 मीसाबंदियों में से 182 पुरुषों को 25 हजार रुपए प्रतिमाह और 53 मीसा बंदियों की विधवाओं को 12 हजार 500 रुपए सम्मान निधि मिल रही थी।
लोकतंत्र सैनानी संघ से अलग जाकर ज्ञान सिंह और भीकम सिंह ने हाईकोर्ट में प्रथक याचिका लगाई थी। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए शुक्रवार को ज्ञानसिंह की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि याचिका कर्ता सुनवाई के दौरान उस तथ्य को भी साबिन नहीं कर पाया है, जिसमें उसने सरकार के फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया था। पैंशन ले रहे मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन कराने का सरकार का फैसला सही है।
-पूर्व में मीसाबंदियों के संगठन ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, कोर्ट में 62 याचिकाकर्ता थे। जिसकी सुनवाई में कोर्ट ने मीसाबंदी मदन बाथम की याचिका पर 24 अप्रैल को सरकार को निर्देश दिया था कि सम्मान निधि भुगतान के लिए तीस दिन में निर्णय लें।
-प्रदेश में सरकार बदलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 दिसंबर 2018 को सभी संभागीय आयुक्त और कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि जो भी लोग सम्मान निधि प्राप्त कर रहे हैं, उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए। टीम मीसा बंदियों के घर पहुंचकर सत्यापन करे।
-जिले में भौतिक सत्यापन के दौरान शुरुआत में 40 लोगों के पास जेल प्रमाणपत्र मिले, इनकी सम्मान निधि के भुगतान का आदेश 12 जून को हो गया था।
-इसके बाद 26 अगस्त 2019 को कलेक्टर ने 7 मीसा बंदियों को और पात्र माना, जिनकी सम्मान निधि के आदेश बाद में हुए थे।
-7 अक्टूबर को कलेक्टर ने चार लोकतंत्र सेनानियों के सत्यापन की पुष्टि होने के बाद भुगतान आदेश दिए।
-31 अक्टूबर तीन और मीसाबंदियों की सम्मान निधि का भुगतान करने के आदेश दिए गए। इस आदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल प्रो कप्तान सिंह सोलंकी का नाम भी शामिल था।
-सरकार के बदलने के बाद सम्मान निधि भुगतान में 10 माह से अधिक का समय लग गया है।
तीन साल पहले शुरू हुई थी जांच
मीसाबंदी के रूप में सम्मान निधि का दावा करते हुए जिले के दो लोगों ने जनसुनवाई में आवेदन दिए थे। इन आवेदनों की जांच के समय तत्कालीन एडीएम (वर्तमान में अपर आयुक्त आबकारी) शिवराज वर्मा ने उल्लेखित उम्र और आवेदन करने वालों के वास्तविक डीलडौल में अंतर पाया गया था। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद दोनों आवेदनकर्ता सामने आने से कतराते रहे। बाद में इन आवेदकों के समर्थन में शपथपत्र देने वाले दो मीसा बंदियों से भी इसको लेकर सवाल जवाब किए गए थे। तत्कालीन एडीएम ने शपथ पत्र के आधार पर सम्मान निधि लेने वाले अन्य मीसाबंदियों के सत्यापन कराने को लेकर रिपोर्ट में लिखा था लेकिन यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
-प्रदेश में 2244 मीसाबंदी हैं, जिनको सम्मान निधि मिल रही थी। प्रदेश के लगभग 28 जिलों में सत्यापन हो चुका है। जिन मीसाबंदियों के दस्तावेज सत्यापन का कार्य प्रशासन ने पूरा कर लिया है, इन सभी को सम्मान निधि का भुगतान किया जाना चाहिए। ग्वालियर जिले में अभी तक 54 मीसाबंदियों का सत्यापन हो चुका है।
मदन बाथम, राष्ट्रीय सचिव-लोकतंत्र सैनानी संघ
-जिन मीसा बंदियों के दस्तावेज सत्यापित हो चुके हैं, उनकी सम्मान निधि भुगतान के लिए हम निर्देश दे चुके हैं। अभी भी सत्यापन जारी है। शपथपत्र के आधार पर जिनकी सम्मान निधि स्वीकृत हुई है, उनके दस्तावेजों की जांच पृथक से कराई जा रही है। कोर्ट ने जो निर्देश जारी किए हैं, उनकी सम्मान निधि जारी हो गई हैं।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर