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सदस्यता शुल्क बढ़ाने के विरोध में खुलकर सामने आए चैंबर के सदस्य

locationग्वालियरPublished: Jun 24, 2019 01:35:33 am

Submitted by:

Rahul rai

चैंबर के चुनाव में भी उम्मीदवारों ने 10 हजार रुपए शुल्क कम करने का वादा किया था, इसलिए भी शुल्क कम होने की उम्मीद थी। चैंबर सदस्यों का कहना है कि नवीन सदस्यता शुल्क बढ़ाकर शायद अब नए सदस्यों को जोडऩे का मन नहीं है, क्योंकि इतनी रकम छोटे कारोबारियों को सदस्य बनने में रोड़ा उत्पन्न करेगी।

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सदस्यता शुल्क बढ़ाने के विरोध में खुलकर सामने आए चैंबर के सदस्य

ग्वालियर। मप्र चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा नवीन सदस्यता शुल्क 21 हजार से बढ़ाकर 31 हजार रुपए किए जाने का चैंबर के सदस्यों द्वारा विरोध किया जा रहा है। सदस्यों को उम्मीद थी कि इस बार सदस्यता शुल्क कम किया जाएगा, क्योंकि पिछले कार्यकाल में भी शुल्क में बढ़ोतरी की गई थी। चैंबर के चुनाव में भी उम्मीदवारों ने 10 हजार रुपए शुल्क कम करने का वादा किया था, इसलिए भी शुल्क कम होने की उम्मीद थी। चैंबर सदस्यों का कहना है कि नवीन सदस्यता शुल्क बढ़ाकर शायद अब नए सदस्यों को जोडऩे का मन नहीं है, क्योंकि इतनी रकम छोटे कारोबारियों को सदस्य बनने में रोड़ा उत्पन्न करेगी। यहां बता दें कि चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों की संख्या 2900 है।
व्हाट्स ऐप ग्रुप में भी जता रहे विरोध
चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों द्वारा नवीन सदस्यता शुल्क बढ़ाने का विरोध चैंबर के व्हाटस ऐप ग्रुप में भी किया जा रहा है। अधिकतर सदस्य बढ़े हुए सदस्यता शुल्क को कम करने की बात कह रहे हैं।
तो फॉर्म वापस ले सकते हैं सदस्य
जानकारी के मुताबिक चैंबर ऑफ कॉमर्स का नया सदस्य बनने के लिए कई सदस्यों ने ब्लैंक चेक देकर आवेदन दिए हैं। नई सदस्यता के लिए 175 सदस्यों ने आवेदन दिए हैं। इन व्यापारियों का मानना था कि यदि सदस्यता शुल्क कम होगा या फिर यही रहेगा तो चेक से शुल्क जमा कर देंगे। शुल्क बढऩे के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि कई व्यापारी अपने फॉर्म वापस ले लेंगे।
शुल्क बढ़ाना उचित नहीं
हर कार्यकाल में शुल्क बढ़ाना उचित नहीं है। पिछले कार्यकाल में भी शुल्क 11 हजार से 21 हजार रुपए करने पर बहुत विरोध हुआ था। चैंबर का उद्देश्य व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को संस्था से जोडऩा एवं उनके हितों को प्राथमिकता देना है, इसलिए फीस 21 हजार ही रखकर नए आवेदन आमंत्रित करने से पहले पेंडिंग आवेदनों का निस्तारण करना चाहिए।
– अश्विनी कुमार सोमानी, पूर्व कार्यकारिणी सदस्य, चैंबर


सिर्फ चुनावी शिगूफा था

नवीन सदस्यता शुल्क इस बार कम किया जाना था। चुनाव जीतकर आने वालों ने चुनाव में ऐसा कहा भी था। ऐसा लगता है कि ये सिर्फ चुनावी शिगूफा था। शुल्क किसी कीमत पर नहीं बढऩा चाहिए था, चैंबर कोई घाटे में नहीं है। गतिविधियां सभी ठीक से चल रही हैं, ऐसे में सदस्यता शुल्क बढ़ाया जाना ठीक नहीं लग रहा है।
महेश गर्ग, सदस्य, चैंबर
छोटे कारोबारियों को परेशानी होगी
पिछली बार के चुनाव के बाद नवीन सदस्यता शुल्क में 10 हजार रुपए बढ़ाकर 21 हजार रुपए किए गए थे, इसलिए इस बार रुपए बढ़ाए नहीं जाने चाहिए थे। इसी वजह से सदस्य विरोध दर्ज करा रहे हैं, क्योंकि छोटे कारोबारियों को इससे दिक्कत होगी।
– रवि गुप्ता, सदस्य, चैंबर


संशोधन जरूरी है

21 जून को हुई बैठक में लिए गए निर्णय के बाद ऐसा महसूस हो रहा है कि इस मुद्दे पर पुनर्विचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सदस्यगण मुझसे लगातार व्यक्तिगत और टेलीफोनिक संपर्क कर रहे हैं, इसलिए इसमें संशोधन होना चाहिए। इसके लिए 101 सदस्यों के हस्ताक्षर किया एक पत्र चैंबर सचिवालय में दिया जा सकता है। अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह साधारण सभा की बैठक बुलाकर बढ़ाए गए शुल्क को पुनर्विचार के लिए रख सकता है।
– विजय गोयल, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स
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