चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों द्वारा नवीन सदस्यता शुल्क बढ़ाने का विरोध चैंबर के व्हाटस ऐप ग्रुप में भी किया जा रहा है। अधिकतर सदस्य बढ़े हुए सदस्यता शुल्क को कम करने की बात कह रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक चैंबर ऑफ कॉमर्स का नया सदस्य बनने के लिए कई सदस्यों ने ब्लैंक चेक देकर आवेदन दिए हैं। नई सदस्यता के लिए 175 सदस्यों ने आवेदन दिए हैं। इन व्यापारियों का मानना था कि यदि सदस्यता शुल्क कम होगा या फिर यही रहेगा तो चेक से शुल्क जमा कर देंगे। शुल्क बढऩे के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि कई व्यापारी अपने फॉर्म वापस ले लेंगे।
हर कार्यकाल में शुल्क बढ़ाना उचित नहीं है। पिछले कार्यकाल में भी शुल्क 11 हजार से 21 हजार रुपए करने पर बहुत विरोध हुआ था। चैंबर का उद्देश्य व्यापारियों एवं उद्योगपतियों को संस्था से जोडऩा एवं उनके हितों को प्राथमिकता देना है, इसलिए फीस 21 हजार ही रखकर नए आवेदन आमंत्रित करने से पहले पेंडिंग आवेदनों का निस्तारण करना चाहिए।
सिर्फ चुनावी शिगूफा था नवीन सदस्यता शुल्क इस बार कम किया जाना था। चुनाव जीतकर आने वालों ने चुनाव में ऐसा कहा भी था। ऐसा लगता है कि ये सिर्फ चुनावी शिगूफा था। शुल्क किसी कीमत पर नहीं बढऩा चाहिए था, चैंबर कोई घाटे में नहीं है। गतिविधियां सभी ठीक से चल रही हैं, ऐसे में सदस्यता शुल्क बढ़ाया जाना ठीक नहीं लग रहा है।
– महेश गर्ग, सदस्य, चैंबर
पिछली बार के चुनाव के बाद नवीन सदस्यता शुल्क में 10 हजार रुपए बढ़ाकर 21 हजार रुपए किए गए थे, इसलिए इस बार रुपए बढ़ाए नहीं जाने चाहिए थे। इसी वजह से सदस्य विरोध दर्ज करा रहे हैं, क्योंकि छोटे कारोबारियों को इससे दिक्कत होगी।
संशोधन जरूरी है 21 जून को हुई बैठक में लिए गए निर्णय के बाद ऐसा महसूस हो रहा है कि इस मुद्दे पर पुनर्विचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए सदस्यगण मुझसे लगातार व्यक्तिगत और टेलीफोनिक संपर्क कर रहे हैं, इसलिए इसमें संशोधन होना चाहिए। इसके लिए 101 सदस्यों के हस्ताक्षर किया एक पत्र चैंबर सचिवालय में दिया जा सकता है। अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह साधारण सभा की बैठक बुलाकर बढ़ाए गए शुल्क को पुनर्विचार के लिए रख सकता है।
– विजय गोयल, अध्यक्ष, चैंबर ऑफ कॉमर्स