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नाटकों से दिया संदेश: धर्म की राह चलें, लडक़ा-लडक़ी में भेद न करें और दोस्ती का महत्व समझें

locationग्वालियरPublished: May 23, 2022 01:02:45 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

आर्टिस्ट्स कंबाइन का नाट्य मंदिर में नाटक का मंचन

नाटकों से दिया संदेश: धर्म की राह चलें, लडक़ा-लडक़ी में भेद न करें और दोस्ती का महत्व समझें

नाटकों से दिया संदेश: धर्म की राह चलें, लडक़ा-लडक़ी में भेद न करें और दोस्ती का महत्व समझें

ग्वालियर.
आर्टिस्ट्स कम्बाइन ग्वालियर की ओर से एवं संस्कृति संचालनालय भोपाल के सहयोग से नाट्य मंदिर में आयोजित रंग शिविर का समापन रविवार को तीन नाटकों के मंचन के साथ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संगीत विश्वविद्यालय की प्रो रंजना टोणपे उपस्थित रहीं। कलाकारों ने रंग शिविर में जो कुछ सीखा, उसे मंच पर प्रस्तुत किया। हर नाटक में एक संदेश छिपा था, जिसे कलाकारों ने बखूबी दिखाया। 10 से 17 मिनट के इन नाटकों में कलाकारों का कुशल अभिनय दिखा। पहला नाटक ‘मैं हूं ना’ दूसरा ‘धर्म अधर्म’ और तीसरा नाटक ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ था।
– नाटक ‘मैं हूं ना’ का निर्देशन रौनक राजपूत ने किया है। 15 मिनट के इस नाटक में कलाकारों ने दोस्ती की महत्वता को बताने का सराहनीय प्रयास किया।

– नाटक ‘धर्म अधर्म’ लेखक सुयश त्रिपाठी और निर्देशन रोहित जैन ने किया। कलाकारों ने बताया कि अधर्म की राह पर चलने वाला व्यक्ति अधर्मी ही होता है। भले चाहे फिर वह कितना भी पुण्य कर ले।
– नाटक ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ के लेखक डॉ श्यामलाकांत वर्मा और निर्देशक रवि आफले हैं। उन्होंने बताया कि हमें लडक़ा और लडक़ी में भेदभाव नहीं करना चाहिए।


नाटक ‘ मैं हूं ना’ में दो दोस्त कोमल और वाणी की कहानी है। इसमें दिखाया गया कि किस प्रकार एक दोस्त दूसरे दोस्त को समझता है और उसे जनता है। इसमें गुड टच और बैड टच के बारे में बताया गया है। साथ ही कि किस प्रकार आज के समय में मां बाप अपने बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं और उसका परिणाम बच्चों को उठाना पड़ता है।
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