– नाटक ‘मैं हूं ना’ का निर्देशन रौनक राजपूत ने किया है। 15 मिनट के इस नाटक में कलाकारों ने दोस्ती की महत्वता को बताने का सराहनीय प्रयास किया। – नाटक ‘धर्म अधर्म’ लेखक सुयश त्रिपाठी और निर्देशन रोहित जैन ने किया। कलाकारों ने बताया कि अधर्म की राह पर चलने वाला व्यक्ति अधर्मी ही होता है। भले चाहे फिर वह कितना भी पुण्य कर ले।
– नाटक ‘सत्यवादी हरिश्चन्द्र’ के लेखक डॉ श्यामलाकांत वर्मा और निर्देशक रवि आफले हैं। उन्होंने बताया कि हमें लडक़ा और लडक़ी में भेदभाव नहीं करना चाहिए।
नाटक ‘ मैं हूं ना’ में दो दोस्त कोमल और वाणी की कहानी है। इसमें दिखाया गया कि किस प्रकार एक दोस्त दूसरे दोस्त को समझता है और उसे जनता है। इसमें गुड टच और बैड टच के बारे में बताया गया है। साथ ही कि किस प्रकार आज के समय में मां बाप अपने बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं और उसका परिणाम बच्चों को उठाना पड़ता है।
नाटक ‘ मैं हूं ना’ में दो दोस्त कोमल और वाणी की कहानी है। इसमें दिखाया गया कि किस प्रकार एक दोस्त दूसरे दोस्त को समझता है और उसे जनता है। इसमें गुड टच और बैड टच के बारे में बताया गया है। साथ ही कि किस प्रकार आज के समय में मां बाप अपने बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं और उसका परिणाम बच्चों को उठाना पड़ता है।