पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि ग्वालियर में यातायात के बढ़ते दबाव के कारण मेट्रो रेल की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए मेट्रो रेल कंपनी का गठन किया जाना आवश्यक है, जिसके द्वारा नगर में मेट्रो रेल के संचालन के लिए फिजिबिलिटी स्टडी कराई जा सके। सिंधिया के पत्र के साथ ग्वालियर कलेक्टर का पत्र भी संलग्न किया गया है।
फिजिबिलिटी सर्वे में यह होगा
– शहर में कितने घनत्व में रैपिड ट्रांजिट सिस्टम ट्रैक बिछ सकता है।
– किस रूट पर रोज किस समय कितने यात्री संख्या संभावित हैं।
– रूट बनाने के लिए कितनी जगह उतार-चढ़ाव, मोड़ आएंगे।
– प्रस्तावित रूट में सरकारी जमीन की उपलब्धता एवं निजी जमीन।
– प्रस्तावित रूट की लाइनों के कंस्ट्रक्शन कॉस्ट प्रति किमी, रखरखाव का खर्च।
स्टेशन और डिब्बे रहेंगे कम
संभावना जताई जा रही है कि ग्वालियर में भोपाल और इंदौर के मुकाबले रेलवे ट्रैक छोटा रहेगा। वैसे ये फैसला पैसेंजर लोड के हिसाब से लिया जाएगा। भोपाल में 95.3 किमी लंबे टै्रक और इंदौर में 103.4 किमी के ट्रैक बनाने की योजना है। वहीं ग्वालियर में स्टेशनों की संख्या कम रहेगी।
यहां होगी भूमिगत
मेट्रो रेल का अधिकांश भाग जमीन के ऊपर ही रहेगा, साथ ही कुछ स्थान ऐसे भी शहर में होंगे जहां से मेट्रो जमीन के अंदर से गुजरेगी। इनमें ऐसे घने बाजार होंगे जो शहर की धुरी हैं, जहां जमीन के ऊपर मेट्रो निकालने में परेशानी है वहां जमीन के अंदर मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे। इसी प्रकार ऐसे हैरिटेज स्थल जहां मेट्रो के ओपन स्टेशन के लिए जगह नहीं हैं, वहां भी जमीन के अंदर स्टेशन बनाए जाएंगे।
17 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन सरकार की ओर से रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के अंतर्गत शहर में और आसपास के लिए गे्रटर ग्वालियर मेट्रो की घोषणा की गई थी। इसमें 100 स्टेशन और 105 किमी की दूरी प्रस्तावित थी। मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी लिमिटेड की ओर से इसे 2021 तक तैयार किया जाना था। इसमें तीन लाइनें प्रस्तावित थीं जिनमें गोले का मंदिर से पड़ाव, रेलवे स्टेशन, अचलेश्वर मंदिर, कंपू, महाराज बाड़ा, लाला का बाजा, संभाजी कॉलोनी, काला सय्यद, एबी रोड स्टेशन, दूसरा पुरानी छावनी से लिंक रोड वाया अल्कापुरी और गोविंदपुरी के बाद तीसरा ग्वालियर से मालनपुर और बानमोर को जोडऩे वाला था।
शहरवासियों को सहूलियत होगी
शहर में मेट्रो की सुविधा यातायात में मददगार साबित होगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने इसके लिए पहल कर दूरदर्शिता दिखाई है, क्योंकि आने वाले समय में मेट्रो टे्रन की शहरवासियों को काफी जरूरत होगी।
प्रवीण पाठक, विधायक
प्रमुख सचिव को लिखा था पत्र
शहर के लिए अब मेट्रो ट्रेन की जरूरत है, इसके लिए प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन को 16 सितंबर को पत्र लिखा था। पत्र के जरिए मेट्रो रेल कंपनी के लिए प्रबंध संचालक नियुक्त करने की मांग की थी।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर