गुढ़ा-गुड़ी का नाका में रहने वाले सतीश गौड़ ने बताया कि उनके छह माह के बेटे आर्यन की 7 नवंबर दीपावली को मौत हो गई थी। बच्चे के शव को गुढ़ा-गुड़ी का नाका मुक्तिधाम में दफनाया था। ऊपर से बड़ा पत्थर रख दिया था। शाम को दूध चढ़ाने गए तो सब ठीक था, लेकिन 8 नवंबर को दोबारा दूध डालने गए तो पत्थर सरका हुआ मिला, मिट्टी भी हटी दिखाई दी। शक होने पर कुछ रिश्तेदारों को बुलाकर गड्ढे को खुदवाया तो बच्चे का शव गायब था।
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दूध पीकर सोया, सुबह मृत मिला
परिजनों का कहना है आर्यन को कोई बीमारी नहीं थी। 6 नवंबर की रात को उसे दूध पिलाकर सुला दिया था। अगले दिन सुबह 6 बजे देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी। घरवाले उसे अस्पताल लेकर गए, डॉक्टर ने चेकअप किया तो वह मृत था।
जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला
मुक्तिधाम पर निगरानी के लिए एक चौकीदार तैनात है, जब आर्यन के शव के बारे में उससे पूछा तो उसने पल्ला झाड़ लिया। उसका कहना था उसे कुछ नहीं मालूम। उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।
रसीद लेकर आओ, तब होगी एफआइआर
जिस स्थान पर आर्यन का शव दफनाया गया था, वहां रखा पत्थर सरका हुआ दिखा। शक हुआ तो गड्ढे को खुदवाया, देखा शव नहीं था। चौकीदार से पूछा, तो वह बोला उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। थाने गए तो कहा, मुक्तिधाम से रसीद लेकर आओ तब एफआइआर लिखी जाएगी।
विष्णु गौड़, आर्यन के ताऊ