1857 की क्रांति के महानायक ने सोचा भी नहीं होगा कि उसकी समाधि स्थल पर होगा ऐसा काम , पढ़ें पूरी खबर
जानकारी के मुताबिक जिला पंचायत कार्यालय में पदस्थ लेखाधिकारी हेमंत पांडे की १० साल की बेटी वृति जो कि कक्षा ५ में पढ़ती है। शुक्रवार की अपरान्ह करीब ३.३० बजे वह घर के बाहर साइकिल चला रही थी। इसी दौरान वह अचानक से लापता हो गई। परिजनों को जब वृति नहीं मिली तो पूरे शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई और सोशल साइट पर बालिका को तलाशने के मैसेज चलने लगे।
जानकारी के मुताबिक जिला पंचायत कार्यालय में पदस्थ लेखाधिकारी हेमंत पांडे की १० साल की बेटी वृति जो कि कक्षा ५ में पढ़ती है। शुक्रवार की अपरान्ह करीब ३.३० बजे वह घर के बाहर साइकिल चला रही थी। इसी दौरान वह अचानक से लापता हो गई। परिजनों को जब वृति नहीं मिली तो पूरे शहर में यह खबर आग की तरह फैल गई और सोशल साइट पर बालिका को तलाशने के मैसेज चलने लगे।
इधर देर शाम करीब 7.30 बजे वृति के पिता हेमंत के मोबाइल पर फोन आया, जिसमें एक ऑटो वाले ने बताया कि आपकी बेटी यहां स्टेशन पर मिली है। पिता व पुलिस के लोग उसे लेने के लिए स्टेशन पहुंचे। बालिका तो मिल गई, लेकिन उसकी साइकिल अभी तक नहीं मिल सकी।
यह बोली बालिका
जब मैं अपने घर के बाहर साइकिल चला रही थी, तभी इमली के पेड़ के पास मुझे पीछे से किसी ने जोर से पकड़ लिया। वृति बोली कि उसके बाद मुझे कुछ पता नहीं कि क्या हुआ। वो बोली कि मुझे जब कुछ समझ आया तो मैं शिवपुरी रेलवे स्टेशन पर आखिर की तरफ बैठी थी। वृति ने बताया कि जब मैंने खुद को स्टेशन पर पाया तो वहां पर एक ऑटो वाले अंकल से कहा कि मेरे पापा को मोबाइल लगा दो। फिर मैं यहां आ गई।
जब मैं अपने घर के बाहर साइकिल चला रही थी, तभी इमली के पेड़ के पास मुझे पीछे से किसी ने जोर से पकड़ लिया। वृति बोली कि उसके बाद मुझे कुछ पता नहीं कि क्या हुआ। वो बोली कि मुझे जब कुछ समझ आया तो मैं शिवपुरी रेलवे स्टेशन पर आखिर की तरफ बैठी थी। वृति ने बताया कि जब मैंने खुद को स्टेशन पर पाया तो वहां पर एक ऑटो वाले अंकल से कहा कि मेरे पापा को मोबाइल लगा दो। फिर मैं यहां आ गई।
“बालिका रेलवे स्टेशन पर मिल गई है। वह किन परिस्थितियों में कैसे वहां पहुंची, उसकी साइकिल कहां है, यह सब अभी हम पता कर रहे हैं।”
सुनील कुमार पांडेय, एसपी