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यही वजह है कि यहां पर दर्शन के लिए श्योपुर ही नहीं अपितु दूर दूर से दर्शन के लिए भक्तगण आते हैं। अंचल के अधिकत्तर गांव के लोग पुष्टमार्गीय संप्रदाय से जुड़े हुए हैं। जिनकी इस स्थान के प्रति विशेष आस्था है और रोजाना बढी संख्या में आते हैं। मंंदिर के पुजारी कीर्तन शर्मा बताते हैं, कि यह मंदिर करीब 500 वर्ष पुराना हैं। मंदिर में विराजित भगवान श्रीनाथ जी का शृंगार आज भी रोजाना किया जाता हैं। मंदिर खुलते ही सुबह 7 बजे यहां पूजा अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ जमा हो जाती हैं। दिनभर लोगों के लिए दर्शनों के लिए पट खुले रहते हैं। वहीं दिन डूबने से पहले ही इस मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।
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वर्ष में चार बार होता है भव्य आयोजन
भगवान श्रीनाथ जी के मंदिर में हर वर्ष चार आयोजन भक्तों के द्वारा किए जाते हैं। यहां भगवान नरसिंह जी की जंयती, वामन जंयती, रामनवमी, जन्माष्टमी का आयोजन भी किया जाता हैं। जिसमें अंचल से बड़ी संख्या में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु अपनी हाजिरी देते हैं।
10 बीघा में हैं भगवान श्रीनाथ का मंदिर परिसर
भगवान श्रीनाथ जी का मंदिर परिसर करीब 10 बीघा में फैला हुआ है। जिसमें प्राचीन मकान, कुएं आदि आज भी बने हुए हैं। खास बात यह हैं कि इस जगह पर आज भी मंदिर परिसर में करीबन 50 कमरे बने हुए जिनमें रहने वाले लोगों की कई पीढिय़ां गुजर गई, लेकिन आज भी वर्तमान पीढिय़ां यहां रह रही हैं।