इत्र की वैरायटी के ये हैं दाम
जन्नते फिरदौस – 7 हजार
रूह अल ऊद – 12 हजार
केसर – 8 हजार
मुश्क जाफरान – 5 हजार
रूह खश – 2200 रुपए
खस – 2200 रुपए
सुखद – 800 रुपए
मजमुआ – 1200 रुपए
फौजिया – 200 रुपए
(नोट – कीमत प्रति दस ग्राम में)
जन्नते फिरदौस – 7 हजार
रूह अल ऊद – 12 हजार
केसर – 8 हजार
मुश्क जाफरान – 5 हजार
रूह खश – 2200 रुपए
खस – 2200 रुपए
सुखद – 800 रुपए
मजमुआ – 1200 रुपए
फौजिया – 200 रुपए
(नोट – कीमत प्रति दस ग्राम में)
ईद पर तोहफे में दिए जाने का भी है रिवाज
खुशियों के त्योहार ईद के दिन इत्र तोहफे में दिए जाने का रिवाज है। इसके अलावा ईद की नमाज पढऩे जाने के पूर्व भी खुशबू लगाकर मुस्लिम धर्मावलंबी मस्जिद की ओर रवाना होते हैं।
खुशियों के त्योहार ईद के दिन इत्र तोहफे में दिए जाने का रिवाज है। इसके अलावा ईद की नमाज पढऩे जाने के पूर्व भी खुशबू लगाकर मुस्लिम धर्मावलंबी मस्जिद की ओर रवाना होते हैं।
माल मंगाने के बाद भी बिक्री ठप
वैसे तो आमदिनों में भी इत्र की पूछपरख रहती है। लेकिन रमजान के महीने में इसकी बिक्री काफी बढ़ जाती है। इसके साथ ही इस महीने में अक्षय तृतीया पर इत्र की बिक्री होती है। अक्षय तृतीया पर मंदिरों की रीति के मुताबिक चंदन, खस और मोगरा काफी बिकता है। कोरोना कफ्र्यू के कारण माल मंगाने के बाद भी बिक्री ठप है। पिछले साल भी कोरोना के कारण ऐसे ही हाल रहे थे।
– बृजेश नागर, इत्र कारोबारी
वैसे तो आमदिनों में भी इत्र की पूछपरख रहती है। लेकिन रमजान के महीने में इसकी बिक्री काफी बढ़ जाती है। इसके साथ ही इस महीने में अक्षय तृतीया पर इत्र की बिक्री होती है। अक्षय तृतीया पर मंदिरों की रीति के मुताबिक चंदन, खस और मोगरा काफी बिकता है। कोरोना कफ्र्यू के कारण माल मंगाने के बाद भी बिक्री ठप है। पिछले साल भी कोरोना के कारण ऐसे ही हाल रहे थे।
– बृजेश नागर, इत्र कारोबारी
इस साल सैवइयां और फैनी की बिक्री पर भी कोरोना का साया
मीठी ईद पर सैवइयां और फैनी का उपयोग होता है। पर इस पिछले साल की तरह इस बार भी इनकी बिक्री पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। दानाओली में सैवइयां और फैनी बेचने वाले ओमप्रकाश खंडेलवाल ने बताया कि सैवइयां कानपुर और इटावा से आती हैं। कोरोना संक्रमण काल से पहले शहर में करीब 40 टन से अधिक सैवइयों की बिक्री होती थी। पर इस बार इन्हें काफी कम लोगों ने मंगाया है। सैवइयां 70 से 75 रुपए किलो है। वहीं गत वर्ष शहर में 30 क्विंटल फैनी की बिक्री हुई थी। इस बार दुकानदारों ने 25 क्विंटल फैनी बनाई है, लेकिन कोरोना कफ्र्यू में दुकानें बंद रहने के कारण 10 क्विंटल से अधिक फैनी की बिक्री नहीं हो पाएगी। सफेद फैनी 160 रुपए और लाल फैनी 200 रुपए किलो है। शहर में इनकी दाना ओली में तीन और हनुमान चौराहे पर एक दुकान है।
मीठी ईद पर सैवइयां और फैनी का उपयोग होता है। पर इस पिछले साल की तरह इस बार भी इनकी बिक्री पर कोरोना का साया मंडरा रहा है। दानाओली में सैवइयां और फैनी बेचने वाले ओमप्रकाश खंडेलवाल ने बताया कि सैवइयां कानपुर और इटावा से आती हैं। कोरोना संक्रमण काल से पहले शहर में करीब 40 टन से अधिक सैवइयों की बिक्री होती थी। पर इस बार इन्हें काफी कम लोगों ने मंगाया है। सैवइयां 70 से 75 रुपए किलो है। वहीं गत वर्ष शहर में 30 क्विंटल फैनी की बिक्री हुई थी। इस बार दुकानदारों ने 25 क्विंटल फैनी बनाई है, लेकिन कोरोना कफ्र्यू में दुकानें बंद रहने के कारण 10 क्विंटल से अधिक फैनी की बिक्री नहीं हो पाएगी। सफेद फैनी 160 रुपए और लाल फैनी 200 रुपए किलो है। शहर में इनकी दाना ओली में तीन और हनुमान चौराहे पर एक दुकान है।