अंचल के इस ककनमठ मंदिर में शाम होने के बाद कोई नहीं रूकता। लोग इसे भूतों वाला मंदिर भी कहते हैं
1000 साल पुराने इस मंदिर में शाम के बाद नहीं रूकता कोई, रात में दिखता है ये नजारा
ग्वालियर। वैसे तो भारत देश में कई मंदिर हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में एक ऐसा मंदिर भी है जहां शाम होने के बाद कोई नहीं रूकता। जी हां दरअसल अंचल के ककनमठ मंदिर में शाम होने के बाद कोई नहीं रूकता। रात में यहां वो नजारा दिखता है, जिसे देखकर किसी भी इंसान की रूह कांप जाए। लोग इसे भूतों वाला मंदिर कहते हैं। मंदिर का इतिहास करीब एक साल हजार पुराना है। इस मंदिर का निर्माण कछवाह वंश के राजा ने अपनी प्रिय रानी के लिए करवाया था।
इसे भी पढ़ें : Shree krishna janmashtami 2019 : जन्माष्टमी पर यहां सजेगा फूल बंगला, भगवान के दर्शन करने का ये है शुभ मुहूर्त शिवभक्त रानी के लिए एक राजा ने ऐसा शिवालय बनवाया जो अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला से पूरे विश्व में अजूबा बन गया। ईंट, गारा, चूना का इस्तेमाल किए बिना निर्मित इस शिवालय का नामकरण भी राजा ने अपनी रानी के नाम पर ही करवा दिया। आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया ने संरक्षित घोषित यह शिवालय सैलानियों के आकर्षण का खास केंद्र बना हुआ है।
मंदिर के निर्माण को लेकर किवदंतियां भी लोगों के मन में कौतूहल पैदा करती हैं। पुरातत्तवविदों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1015 से 1035 के बीच कराया गया है। एक हजार वर्ष पहले सिहोनियां कछवाह वंश की राजधानी था। यहां के राजा कीर्तिराज परम शिवभक्त थे और उनकी पत्नी रानी ककनावती भी उतनी ही बड़ी शिव की उपासक थीं। आसपास कोई शिवालय न होने से रानी को शिव उपासना में परेशानी होती थी। तब राजा ने एक वृहद शिवालय का निर्माण करवाया।
इसे भी पढ़ें : प्यार में कोई तकरार है तो फिर आ जाइए यहां, टूटे दिल भी जुड़ जाते हैं यहां, कुछ ऐसी है ये जगह चूंकि निर्माण रानी के लिए करवाया था इसलिए इसका नाम भी कनावती से मेल खाता हुआ ककनमठ रखवा दिया। जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर होने से यहां मंदिर के बारे में कौतूहल रखने वाले लोग ही आते-जाते हैं। महाशिवरात्रि को आसपास के लोग यहां कांवर से लाया गया गंगाजल अर्पित करने पहुंचते हैं।
इसे भी पढ़ें : यहां भक्तों की मर्जी पर चलते हैं महादेव, जिस ओर भक्त चाहें वहीं मुड़ जाता है शिवलिंग, वीडियो में देखें चमत्कारकला का बेजोड़ नमूना 115 फीट ऊंचे इस शिव मंदिर के निर्माण में पत्थरों को जोडऩे में चूना-गारे का उपयोग नहीं किया गया है। खजुराहो शैली में निर्मित ककनमठ मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। खंडहरनुमा हो चुके मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग स्थापित है। माना जाता है किइस शिवलिंग की गहराई किसी को नहीं पता। मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल किया हुआ है।
इसे भी पढ़ें : 125 साल बाद हरियाली अमावस्या पर बना ऐसा संयोग, इन राशियों की चमकेगी किस्मतलंबे समय तक जाना जाता रहा भूतों के मंदिर से सिहोनियां के ककनमठ शिवालय को लेकर लंबे समय तक किवदंति रही कि इसका निर्माण भूतों ने कराया है, क्योंकि मंदिर के निर्माण में किसी मसाले का उपयोग नहीं दिखता है और पत्थर भी हवा में लटके दिखते हैं। हालांकि ऐतिहासिक तौर पर इसका निर्माण राजा कीर्तिराज ने ही कराया था, लेकिन एक दशक पहले तक यह किवदंति प्रचलित थी कि ककनमठ मंदिर का निर्माण भूतों ने एक ही रात में करवाया था। सुबह होने से पहले जितना मंदिर बना उतना ही छोड़कर वे चले गए। इसलिए आसपास बड़े नक्कासीयुक्त पत्थर भी परिसर में पड़े हैं।