लेकिन सामने देर रात आई क्योंकि लुटेरों ने मां, बेटे को मऊछ घाटी के जंगली रास्ते पर रोक कर वारदात की। लुटेरों के भगाने के बाद मां बेटे करीब १४ किलो मीटर चलकर पनिहार थाने पहुंचे, तब पुलिस को वारदात बताई
पनिहार थाना प्रभारी प्रवीण शर्मा ने बताया गोल पहाडिय़ा पर रहने वाले रोहित सोनी बनवार, पनिहार गांव में सर्राफ की छोटी दुकान चलाते हैं। इसलिए रोज गोल पहाडिय़ा से बनवार गांव आते जाते हैं।
रोहित के साथ उनकी मां भी बनवार दुकान पर रोज आती हैं। मां, बेटे सुबह आते हैं और शाम ढलने पर बाइक से वापस गोल पहाडिय़ा लौट जाते हैं। कोरोना कफर्यू में भी रोहित रोज दुकान खोल रहे थे। रविवार सुबह मां, बेटे दुकान पर आए थे। शाम करीब ७:३० बजे दोनों दुकान बंद कर गोल पहाडिय़ा वापस लौट रहे थे। मऊछ घाटी का रास्ता क्रास करते समय लुटेरों ने उन्हें रोककर लूटा।
झाडियों में दुबके थे लुटेरे
रोहित और ऊषा सोनी ने पुलिस को बताया वह बनवार गांव से निकल मऊछ घाटी से निकल रहे थे। सडक़ पर सन्नाटा था। लुटेरे पहले से झाडियों में दुबके थे। एकाएक झाडों के बीच से निकल कर उनकी बाइक के सामने आ गए तो मोटरसाइकल के ब्रेक लगाने पडे।
रोहित और ऊषा सोनी ने पुलिस को बताया वह बनवार गांव से निकल मऊछ घाटी से निकल रहे थे। सडक़ पर सन्नाटा था। लुटेरे पहले से झाडियों में दुबके थे। एकाएक झाडों के बीच से निकल कर उनकी बाइक के सामने आ गए तो मोटरसाइकल के ब्रेक लगाने पडे।
लुटेरों ने तमंचा तानकर गोली मारने की धमकी दी। उनकी मां के गले पर झपटटा मारकर मंगलसूत्र खींच लिया। हालांकि खींचतान में आधा मंगल सूत्र टूट गया। लुटेरों ने तंमचे की दम पर उनका मोबाइल और जेब में रखी रकम लूटी। लूटपाट कर दोनों लुटेरे झाडियों में घुस गए। भागने से पहले धमकी भी दे गए कि पुलिस को बताया तो गोली मार देंगे।
रैकी कर वारदात
पुलिस का कहना है कि रोहित सर्राफ की दुकान पर गहने गिरवी भी रखने का काम करता है। आशंका है कि लुटेरों को उसके बारे में पूरी जानकारी रही है। बदमाशों को पता रहा है कि रोहित और उनकी मां देानों रोज शहर से गांव आते हैं। शाम ढलने पर वापस जाते हैं। इसलिए लुटेरे पहले से झाडियों में दुबके थे।
रैकी कर वारदात
पुलिस का कहना है कि रोहित सर्राफ की दुकान पर गहने गिरवी भी रखने का काम करता है। आशंका है कि लुटेरों को उसके बारे में पूरी जानकारी रही है। बदमाशों को पता रहा है कि रोहित और उनकी मां देानों रोज शहर से गांव आते हैं। शाम ढलने पर वापस जाते हैं। इसलिए लुटेरे पहले से झाडियों में दुबके थे।