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इरादों के आगे बौनी पड़ी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई

locationग्वालियरPublished: May 29, 2020 05:28:19 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

वल्र्ड एवरेस्ट डे आज: रेगुलेटर से गैस लीक होने पर भी नहीं घबराई भावना

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इरादों के आगे बौनी पड़ी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई,इरादों के आगे बौनी पड़ी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई

ग्वालियर.
माउंट एवरेस्ट में 8 हजार मीटर हाइट पर पहुंचते ही मेरे सिलेंडर के रेगुलेटर से गैस लीक करने लगी। मैं उस पर अंगूठा लगाकर कुछ दूर चढ़ी, लेकिन लीकेज अधिक था। मेरा टॉप पर पहुंच पाना मुश्किल था। तब मेरे शेरपा ने मुझसे कहा कि मैं अपना सिलेंडर आपको देता हूं और आप नीचे उतर जाओ। लेकिन मैंने सोचा कि यदि मैं आपका सिलेंडर लूंगी, तो ऊपर जाकर अपना सपना पूरा करूंगी, नीचे क्यों जाऊं। शेरपा ने मना किया, लेकिन मैं नहीं मानी और टॉप पर पहुंचकर अपना तिरंगा फहराया। टॉप पर पहुंचने से पहले बहुत दर्दनाम मंजर देखे। कई बॉडी को क्रॉस कर मैं ऊपर चढ़ी। लेकिन मेरे इरादे बड़े थे, जिन्होंने मुझे रुकने नहीं दिया और मैंने अपना सपना पूरा किया। यह कहना है माउंटेनियर भावना डेहरिया का, जो छिंदवाड़ा के पास एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। वह समय-समय पर
ग्वालियर आती रहती हैं। अभी तक उन्होंने कई सीबीएसई स्कूल्स में एडवेंचर कैंप की ट्रेनिंग बच्चों को दी है।

4 साल तक घूमती रही, नहीं मिला कोई स्पांसर

भावना ने बताया कि मैंने बचपन में किताबों में माउंटेनियर के बारे में पढ़ा था। तभी से मेरा सपना था कि मैं भी माउंटेनियर बनूंगी। इसीलिए 12वीं के बाद मैंने माउंटेनियर के कोर्स भी कर लिए। लेकिन जब माउंटेन एवरेस्ट के बारे में 25 लाख रुपए इक_ा करने निकली, तो कोई स्पांसर नहीं मिला। ऊपर से लोगों ने मजाक भी उड़ाया, लेकिन मैंने उसे चैलेंज के रूप में लिया और 4 साल परेशान होने के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मेरी मदद की।

आस्ट्रेलिया, अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी कर चुकी फतेह
इसके बाद मैंने आस्ट्रेलिया महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट 6 मार्च को कोसीयुस्को पर पहुंचकर तिरंगा फहराया। वह होली का दिन था। नवंबर में अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो की समिट पूरी की।
भावना ने 31 दिसंबर को दक्षिण अमेरिका के माउंट अकोंकागुआ की चढ़ाई समिट में भाग लिया, लेकिन 6500 मीटर की ऊंचाई से वापस आ गईं। क्योंकि वेदर काफी खराब हो गया था।

ट्रेनिंग सेंटर खोलने का सपना
भावना बताती हैं कि मेरा सपना माउंटेनियर बनने का सपना लिए युवाओं के
लिए ट्रेनिंग सेंटर खोलने का है, जिससे मैं आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं के सपनों को भी पूरा कर सकूं और लोगों को इसके स्पांसरशिप के लिए अवेयर कर सकूं।

साथियों की बॉडी देख भी नहीं टूटी हिम्मत

शहर में मिठाई का ठेला लगाने वाले भगवान सिंह कुशवाह ने 2016 में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया। उन्होंने 8848 मीटर ऊंचाई मात्र 54 दिन में ही पूरी कर ली। माइनस 52 डिग्री टेम्प्रेचर में भगवान सिंह 40 किलो का बैग लेकर चढ़े। उनके ग्रुप में 8 लोग थे। जिनमें से 5 लोग ही चढ़ सके। एक बीमार हो गया और दो साथियों की सांसे थम गईं। यह देख उन्होंने अपना हौसला नहीं टूटने दिया।

गल गई थीं पैरों की उंगलियां
भगवान सिंह ने बताया कि एवरेस्ट के टॉप पर पहुंचने के पहले ही पैरों की उंगलियां गल गई थीं। स्किन मोजे पर रह गई थी। लेकिन हौसले के आगे ये सारी चीजें छोटी लगीं। एवरेस्ट फतेह करने के बाद भगवान सिंह नहीं रुके, उन्होंने और भी कई एडवेंचर कर शहर का नाम रोशन किया।

9 दिन में नापी वल्र्ड की सबसे ऊंची सड़क
भगवान सिंह कुल्लू मनाली लेह से खादरूला 9 दिन में होकर लौटे। इसकी दूरी 600 किमी है, जो वल्र्ड की सबसे ऊंची सड़क जानी जाती है। अभी दिसंबर में ग्वालियर से भोपाल 420 किमी की दूरी साइकिल से 2 दिन में पूरी की। भगवान अभी तक नेशनल लेवल 200 से अधिक ट्रेकिंग, 6 बार बेस्ट क्लाइमर अवॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं। जल्द ही उनका टारगेट तीन दिन में एक हजार किमी साइकिल से पूरा करने का है।

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