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कम्प्यूटर बाबा ने 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वर,महंतों के साथ चारों मठों के शंकराचार्य का आह्वान करते हुए कहा कि ये धर्म विरोधी सरकार है, इसलिए इस बार बदलाव करना होगा। अब संत पांच साल अगली सरकार को देखेंगे। यदि वह भी संतों की हितैषी नहीं हुई तो उसे भी उखाड़ देंगे। उन्होंने कहा, इस सरकार में साधु-संतों की कुटिया तोड़ी गई।
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मठ मंदिर हमारे हैं। उन्हें सरकारी किया जा रहा है। हमारे लिए पानी नहीं, बिजली नहीं, कोई योजना नहीं है। ऐसी सरकार नहीं रहने देंगे जो धर्म विरोध हो। इसके लिए एक लाख संत-महात्मा २३ नवंबर को जबलपुर में एकत्र होंगे। रोकडिय़ा सरकार के महंत विष्णु दास ने कहा कि जो सरकार संतों का अपमान करती है उसे सत्ता में रहने का हक नहीं है।
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एक ग्लास पानी पीकर दिखा दें मोदी
निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर वैराग्यानंद ने कहा कि गंगा नालों की वजह से कानपुर तक आते-आते दूषित हो गई है। दिल्ली,आगरा में यमुना भी दूषित हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान चला रहे हैं। वे इन नदियों का एक ग्लास पानी पीकर दिखा दें। उन्होंने चारों मठों के शंकराचार्य से धर्म की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब माई के लाल का जवाब हम सभी को देना होगा।
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सडक़ें निजी कंपनियों को बेच दी
जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा, पंद्रह साल में प्रदेश में तीन ही चीजें दिखी। व्यापमं घोटाला, डंपर घोटला और नर्मदा की रेत से नेताओं की कोठियां। सरकार ने प्रदेश की सडक़ें निजी कंपनी को बेच दी है। एक किमी सफर में 5 रुपए टोल टैक्स लिया जाता है।
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आश्रम के लिए बिजली मिली न पानी
विदिशा से आए लखनानंद परमहंस ने कहा, इलाके में सबको योजना के तहत नल कनेक्शन फ्री में किए जा रहे थे लेकिन आश्रम में कनेक्शन नहीं दिया गया। जब कनेक्शन की बात कही तो वहां के अध्यक्ष ने कहा कि हनुमानजी वोट नहीं देते हैं।
कार्यक्रम से पहले भोजन व्यवस्था में व्यवधान होने पर संतों ने नाराजगी जाहिर की। इसके बाद सम्मेलन के दौरान कई संतों को बैठने के लिए कुर्सी नहीं मिली। उन्हें जमीन पर बैठाया गया। इस पर भी संतों ने नाराजगी जाहिर की।
संतों के सम्मेलन में सत्तारूढ़ पार्टी को उखाड़ फेंकने का किया आह्वान। प्रदेश भर के संत-महात्मा पहुंचे।