यह भी पढ़ें
सालों बाद नाग ने लिया बदला, अब तक आपने नहीं सुनी होगी ऐसी कहानी
उन्होंने कहा कि हम शिवपुरी में टूरिज्म को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं, इसके लिए मैं संबंधित लोगों से चर्चा भी कर रहा हूं। प्रदेश के सरकार गिराने की बात को लेकर सांसद केपी यादव ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बहुत जल्दी गिर जाएगी। क्योंकि इस सरकार में सिवाय भष्ट्राचार के अलावा कुछ नहीं हुआ और उनके विधायक व मंत्री खुद ही एक दूसरे की पोल खोल रहे हैं। सरकार को गिराने में हमें मशक्कत नहीं करेनी पड़ेगी,बल्कि उनके ही लोग उसे गिरा देंगे। यह भी पढ़ें
तेज रफ्तार बनी काल: अनट्रेंड ड्राइवर, नशाखोरी बड़ा कारण, हेलमेट नहीं लगाने वाले दो पहिया वाहन चालक ज्यादा शिकार
ज्योतिरादित्य को ही केपी ने दी चुनाव मैदान में सबसे बड़ी शिकस्तपिछले 67 साल से सिंधिया परिवार की रिजर्व गुना सीट पर इसी परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिकस्त देने वाले डॉ. केपी यादव ने राजनीति का क-ख-ग भी सिंधिया से ही सीखा। इतना ही नहीं वे सिंधिया के नजदीकी होने के साथ-साथ उनके हर कार्यक्रम में न केवल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, बल्कि सिंधिया के वाहन के आगे खड़े होकर सेल्फी भी लेकर अपनी फेसबुक पर शेयर करते थे। केपी के पिता की माधवराव सिंधिया से अच्छी मित्रता थी, इसलिए दोनों के बेटों की भी बचपन से ही नजदीकियां रहीं।
यह भी पढ़ें
प्रधानमंत्री के साथ चंद्रयान की लैंडिंग देखेगी MP की नैंसी और कनिष्का
मुंगावली में रहने वाले डॉ. केपी यादव के पिता रघुवीर सिंह यादव कांग्रेसी हैं तथा वे गुना जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रघुवीर सिंह की माधवराव सिंधिया से अच्छी मित्रता व नजदीकियां थीं, जिसके चलते यह पूरा परिवार ही कांग्रेसी रहा। चूंकि पिता की दोस्ती माधवराव सिंधिया से थी, इसलिए जब अपने पिता के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया उस क्षेत्र में आते थे, उनसे मिलने के लिए केपी यादव भी अपने पिता के साथ जाते थे। इसी दौरान ज्योतिरादित्य व केपी यादव की भी दोस्ती हो गई। समय गुजरने के साथ ही केपी यादव न केवल सिंधिया फैंस क्लब मप्र के उपाध्यक्ष रहे, बल्कि अशोकनगर जिला पंचायत में वे सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि भी रहे। केपी यादव की पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं। यह भी पढ़ें
प्रदेश की 20 पंचायतों में ऑनलाइन बिलिंग की प्रक्रिया शुरू
ज्योतिरादित्य सिंधिया से टिकट की मांग की
बीएएमएस डॉक्टरी की उपाधि लेने वाले केपी यादव का अपना क्लीनिक भी है और एक बड़ा अस्पताल जब उन्होंने 2015 में खोला था, तो उसका उद्घाटन भी सिंधिया ने ही किया था। चिकित्सीय कार्य के अलावा राजनीति में सक्रियता के चलते केपी यादव का नाम और पहचान बढ़ती गई। मुंगावली विधायक रहे महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के आकस्मिक निधन के बाद जब यहां वर्ष 2018 में उपचुनाव हुआ, तो केपी यादव ने पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया से टिकट की मांग की। लेकिन सिंधिया ने टिकट केपी को न देते हुए बृजेंद्र सिंह यादव को दिया। हालांकि बृजेंद्र सिंह भी उपचुनाव जीत गए थे। लेकिन टिकट न मिलने से केपी यादव की अपने ही नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से इतनी नाराजगी हो गई कि उन्होंने शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ले ली।
यह भी पढ़ें
सिंधिया के समर्थक मंत्री ने कलेक्टर को लगाया फोन, बोले खाद्य सुरक्षा अधिकारी पर करो कार्रवाई
सोशल मीडिया पर वो फोटो भी वायरल हुआ
केपी यादव के भाजपा में शामिल होते ही विधानसभा आम चुनाव में भाजपा ने उन्हें मुंगावली से अपना प्रत्याशी बनाया, जबकि कांग्रेस से बृजेंद्र सिंह यादव को ही पुन: टिकट दिया गया। इस चुनाव में केपी यादव ने कड़ी टक्कर दी, हालांकि वे 2100 वोट से हार गए थे। चूंकि गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में यादव वोटर की संख्या अधिक है, इसलिए जब सिंधिया के सामने चुनाव लडऩे के लिए कोईदूसरा प्रत्याशी भाजपा को नहीं मिला, तो फिर केपी यादव को ही मैदान में उतार दिया।
केपी के चुनाव मैदान में आते ही सोशल मीडिया पर वो फोटो भी वायरल हुआ, जिसमें केपी खुद सिंधिया के साथ सेल्फी लेने के लिए उनके वाहन के आगे खड़े हुए हैं। राजनीति के इस मोड़ पर केपी यादव को भी यह भरोसा नहीं था कि एक समय ऐसा आएगा, जब वे सिंधिया के सामने न केवल चुनाव लड़ेंगे, बल्कि उन्हें शिकस्त भी देंगे।