लो मिठाई खाओ, छुट्टी मिली है
महाराजपुरा थाने में पदस्थ आरक्षक मदन तोमर तो भरोसा नहीं हुआ कि उन्हें भी छुट्टी मिल सकती है। मदन बताते हैं कि गुरुवार को सोकर उठे तो थाने जाने की चिंता नहीं थीं। आठ साल में पहला मौका था जब परिवार के साथ पूरे 24 घंटे बिताने का मौका मिला था इसलिए वह भावुक हो गए। इसलिए बच्चों को ऑटो से स्कूल नहीं भेजा, खुद उन्हें छोडने गए, फिर उनकी छुट्टी होने का इंतजार किया। छुट्टी मिलने की खुशी में मिठाई खरीदी थाने जाकर सहकर्मियों का मुंह मीठा कराया। सुबह ही प्रोग्राम तय हो गया था कि परिवार को लेकर मॉल जाएंगे, चाट खाएंगे, मस्ती करेंगे। छुट्टी मिलने से लग रहा है कि नौकरी का मजा दोगुना हो गया है।
ऐसा लगा हम भी आजाद हैं
जनकगंज थाने में पदस्थ एएसआइ राधेश्याम जादौन ने बताया कि गुरुवार को उन्हें वीक ऑफ मिला है। पहली बार लग रहा है कि वह भी आजाद हैं। न थाने से फोन आने की चिंता थी, न इस बात का डर था कि अधिकारी बुला सकते हैं। सारी चिंताओं से दूर बेफ्रिक थे। इसलिए छुट्टी के दिन हर लम्हें का इंजाय किया। सुबह ही परिवार ने तय कर लिया था कि शाम को होटल में खाना खाएंगे। दिन में पत्नी के साथ बाजार जाकर खरीदारी की, शाम को बच्चों की पंसद के रेस्टोरेंट में जाकर डिनर किया। जादौन का कहना है उन्हें पुलिस की नौकरी में 40 बरस हो गए हैं, इससे पहले कभी छुट्टी नहीं मिली। कभी परिवार के साथ जाना पड़ा तो दिमाग में खुटका रहता था कि कभी भी थाने से बुलावा आ सकता है। पहली बार निश्चिंत थे कि जमकर मस्ती करो डयूटी पर कोई नहीं बुलाएगा।
बच्चों के साथ बिताया दिन, मजा आया
ग्वालियर थाने में पदस्थ एएसआइ आरएस गुनकर और उनका गुरुवार को साप्ताहिक अवकाश मिलने से बेहद खुश था, गुनकर कहते हैं कि 36 साल से पुलिस की नौकरी रहे। करीब 6 साल पहले भोपाल में थे तब भी छुट्टी मिली थी। उसके बाद अवकाश बंद हो गया। गुरुवार को उन्हें वीक ऑफ दिया गया है तो परिवार के साथ समय बिताया। अभी तक पूरा परिवार साथ नहीं बैठ पाता था, रात को डयूटी से लौटो तो बच्चे सो चुके होते थे, सुबह बच्चे स्कूल कॉलेज चले जाते तब उनकी नींद खुलती थी। गुरुवार को लगा कि छुट्टी का मजा क्या होता है।
बेटी अंशिका के साथ आरक्षक पिंकी कतरौलिया।
पुलिस लाइन के सरकारी क्वार्टर में रहने वाली आरक्षक पिंकी कतरौलिया गुरुवार को बेटी अंशिका के साथ खुलकर मस्ती की। पिंकी महिला थाने में आरक्षक हैं। पुलिस में वीकली ऑफ शुरू होने पर थाने के रोस्टर में पहला अवकाश लेने वालों में उनका भी नाम शुमार था। इसलिए गुरुवार को पिंकी फ्री मूड में थीं। पत्रिका ने पिंकी से उनके घर जाकर मुलाकात की तो बेटी अंशिका उनकी गोदी में बैठी कविता सुना रही थी। पिंकी ने बताया कि उनके पति एसएएफ में थे 2013 में मंडला में नक्सली हमले में शहीद हुए थे। नौकरी में बेटी के साथ समय गुजारने का वक्त नहीं मिलता। गुरुवार को पहली बार डयूटी से वीकली ऑफ मिला है। उसे बेटी के साथ पूरी तरह इंजाय किया है। मासूम अंशिका को तो भरोसा नहीं हो रहा था कि मम्मी डयूटी नहीं जाएंगी। एक पल भी मां से दूर होना उसे गवारा नहीं था इसलिए रोज साथ खेलने वाले हम उम्र दोस्तों से भी कह दिया कि आज तुम लोग खेलो हम तो मम्मी के साथ खेलेंगे। पिंकी का कहना था कि बेटी की खुशी ने छुट्टी का मजा दोगुना कर दिया।