ग्वालियर

स्टोन पार्क की जमीन पर कटे प्लॉट, एमपीआइडीसी के कर्मचारियों पर लगाया बेचने का लगाया आरोप

उद्यमी जताएंगे विरोध, बोले – न संधारण शुल्क जमा कराएंगे न लीज रेंट

ग्वालियरDec 24, 2021 / 03:03 am

राजेंद्र ठाकुर

स्टोन पार्क की जमीन पर कटे प्लॉट, एमपीआइडीसी के कर्मचारियों पर लगाया बेचने का लगाया आरोप

ग्वालियर। 13 साल पहले बसाया गया स्टोन पार्क अब भी अव्यवस्थाओं से घिरा हुआ है। यहां के उद्यमियों ने एमपीआइडीसी के कर्मचारियों पर अवैध रूप से जमीन बेचने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कई लोगों ने तो यहां मकान का निर्माण तक कर लिया है और लगभग 50 से ज्यादा परिवार अवैध निर्माण कर यहां रह रहे हैं। यह सभी लगभग श्रमिक वर्ग के हैं। जिन्हें सस्ते में जमीन उपलब्ध कराई गई है। ऐसे में अब उद्यमियों को परेशान होना पड़ रहा है। इसकी शिकायत कई बार उद्यमियों ने की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। क्योंकि यहां मौजूद कुल जमीन का 40 प्रतिशत हिस्सा वेस्टेज के लिये रखा गया है। अब उद्यमी इसका विरोध जोरशोर से करने का मन बना चुके हैं।
सन् 2009 में स्टोन पार्क को बसाया गया था, ताकि यहां पत्थर कारोबारी अपना काम कर सकें। यहां लगभग 53 इकाइयां काम कर रही हैं और 10 देशों को पत्थर भेजा जाता है। लेकिन यहां के उद्यमियों का कहना है कि एमपीआइडीसी के कर्मचारियों की मनमानी से परेशान हैं। दरअसल यह स्टोन पार्क 37 हेक्टेयर जमीन पर बसा है। उपलब्ध भूमि में से 34 प्रतिशत में औद्योगिक भूखंड बनाए गए हैं एवं 22 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए है एवं 3 प्रतिशत एमेनिटी के लिए है, जिसमें दुकान है एवं विकास भवन बनना था लेकिन वह भी नहीं बन पाया। 40 फीसदी जमीन वेस्टेज जोन और ओपन एरिया के लिए उपलब्ध है। लेकिन इस जमीन पर एमपीआइडीसी के अधिकारियों ने अवैध रूप से लोगों को बसा दिया है। जमीन को घिरवाने के एवज में लोगों से पैसे भी वसूल करने के आरोप लगाए हैं। लेकिन शिकायत के बाद भी न तो अतिक्रमण हटाया जा रहा है और न ही जमीन पर अतिक्रमण करवाने वालों पर कार्रवाई की जा रही है।

शौचालय के लिए परशान हो रहे उद्यमी एवं कर्मचारी


उद्यमियों का कहना है कि देशभर में स्वच्छता अभियान चलने के बाद भी यहां सुलभ शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2017 में जिसके तहत घरर-घर में शौचालय बनाए गए हैं। लेकिन स्टोन पार्क में एमपीआइडीसी की ओर से कोई मूत्रालय या शौचालय का निर्माण नहीं किया गया।

न संधारण शुल्क देंगे न न लीज रेंट जमा कराएंगे
उद्यमियों का कहना है कि उनकी अतिक्रमण हटाने सहित सुविधाओं को लेकर लगातार मांग की जा रही है। लेकिन अब अगर 31 मार्च तक सुविधाएं नहीं मिलीं और अतिक्रमण नहीं हटा तो न ही संधारण शुल्क जमा करेंगे

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