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गौरतलब है कि मजदूर परिवारों के बच्चों की शादी में सहयोग के लिए शासन की ओर से 25 हजार रुपए की राशि दी जाती है। यह योजना गरीब परिवारों में होने वाली शादी में एक सहयोग के लिए शुरू की गई, लेकिन कुछ लोगों ने इसे ही अपना कारोबार बना लिया।
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शहर के कई मजदूर परिवार अपने बच्चों की शादी के नाम पर एक फर्जी शादी का कार्ड छपवाते हैं और दस्तावेजों के साथ उन्हें एक फोटो कॉपी की दुकान पर जमा कर देते हैं। आगे की प्रक्रिया को वो दुकान वाला पूरा करवाता है और इसके एवज में उसकी फीस 5 हजार रुपए तय होती है। यह खेल भरोसे पर खेला जा रहा है और जब हितग्राही के खाते में 25 हजार रुपए आ जाते हैं, तो फिर वो उनमें से पांच हजार रुपए फोटोकॉपी वाले को दे देता है। यह भी पढ़ें : VIDEO : बर्थ डे सेलिब्रेट कर पति ने वाइफ को दिया ऐसा दर्द,दीवार पर मिले चीथड़े ऐसे हुआ खुलासा
एक युवती अपनी माँ व भाई के साथ एक प्रिंटिंग की दुकान पर शादी का एक कार्ड छपवाने आई और सौदा 100 रुपए में तय हुआ। कार्ड में शादी की तारीख 29 लिखवाने के बाद उस लड़की ने पूछा कि इस महीने में 29 तारीख तो आएगी न। इससे शक पुख्ता हो गया कि उसे उक्त तारीख में शादी नहीं करना,
एक युवती अपनी माँ व भाई के साथ एक प्रिंटिंग की दुकान पर शादी का एक कार्ड छपवाने आई और सौदा 100 रुपए में तय हुआ। कार्ड में शादी की तारीख 29 लिखवाने के बाद उस लड़की ने पूछा कि इस महीने में 29 तारीख तो आएगी न। इससे शक पुख्ता हो गया कि उसे उक्त तारीख में शादी नहीं करना,
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बल्कि उसके नाम पर राशि निकलवानी है। उस युवती ने ही बताया कि हम तो यह सभी कागज नपा कार्यालय के सामने एक फोटोकॉपी की दुकान पर देंगे और फिर जब पैसा आ जाएगा तो उसमें से 5 हजार रुपए दुकान वाला लेगा। उसे पांच मिलेंगे तो हमें 20 मिल जाएंगे। यह भी पढ़ें
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“मजदूर परिवार को बच्चों की शादी के लिए मिलने वाली 25 हजार रुपए की राशि का आवेदन ऑनलाइन जमा होता है तथा शासन से सीधे ही राशि हितग्राही के खाते में जाती है। हमारे पास तो सिर्फ फार्म की एक कॉपी आती है और हर सीजन में ढाई-तीन सौ आवेदन आते हैं।”राजेंद्र वशिष्ठ, लिपिक मजदूर कार्ड शाखा नपा शिवपुरी