शहर के सिर्फ ५३ वार्डों में ही कंपनी की गाडिय़ां कचरा कलेक्शन कर रही हैं। इसके साथ ही कंपनी द्वारा कचरे का सेग्रीगेशन के लिए भी सही ढंग से प्रचार प्रसार नहीं किया गया। लैंडफिल साइट जहां कचरे की प्रोसेसिंग होना है वह भी पूरी तरह से बंद है। ऐसे में जो भी कचरा है वह शहर के विभिन्न क्षेत्रों में डंप किया जा रहा है या फिर लैंडफिल साइट पर भी कचरे के ढेर लगे हुए हैं। नगर निगम निगम अब कंपनी से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रही है। नगर निगम ने कंपनी के विकल्प के तौर पर देश के अन्य शहरों में कचरे की प्रोसेसिंग के तौर तरीके के बारे में पता लगा रही है। जिससे कि अगर कंपनी का टेंडर निरस्त किया जाता है तो दूसरी कंपनी को हायर किया जा सके।
ग्रेस पीरियड पर चल रही है कंपनी
ईको ग्रीन कंपनी को व्यवस्थाएं सुधारने के लिए नगर निगम आयुक्त ने फाइनल नोटिस दिया था, जिसमें १ महीने के अंदर व्यवस्थाएं सुधारना था। लेकिन कंपनी ने व्यवस्थाएं नहीं सुधारी हैं और वर्तमान में कंपनी ग्रेस पीरियड में चल रही है। कभी भी कंपनी का टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई की जा सकती है।
गेल दे चुकी है प्रजेंटेशन
ेदेश की सार्वजनिक उपक्रम गैस कंपनी गेल कचरे की प्रोसेसिंग को लेकर पहले ही रुचि दिखा चुकी है। कंपनी ने गीला कचरे से गैस बनाए जाने के प्रोजेक्ट का निगम अधिकारियों को प्रजेंटेशन भी दिया था। जिसमें बताया गया कि किस तरह से घरों से निकलने वाले गीले कचरे से कंपनी द्वारा गैस बनाई जाएगी। निगम अधिकारी इस प्रोजेक्ट पर भी विचार कर रहे हैं। अगर ईको ग्रीन कंपनी का टेंडर निरस्त किया जाता है तो गेल का ऑफर नगर निगम द्वारा स्वीकार किया जा सकता है।
कंपनी को व्यवस्थाएं सुधारने के लिए कहा है, इसके साथ ही हमने ईको ग्रीन का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है, जिससे कंपनी के जाने के बाद स्थिति न बिगड़े। जल्द ही इसको लेकर निर्णय ले लिया जाएगा।
संदीप माकिन, निगमायुक्त
कंपनी ने व्यवस्थाएं नहीं सुधारी हैं, जल्द ही कंपनी पर कार्रवाई की जाएगी, इसके साथ ही कंपनी के जो भी उपकरण हैं उन सभी को जब्त कर लिया जाएगा और उसका उपयोग नगर निगम द्वारा किया जाएगा।
एमबी ओझा, प्रशासक नगर निगम