विवेक नारायण शेजवलकर ने 5 जून को महापौर पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय महापौर के कार्यकाल में 7 माह और 5 दिन का समय था। ऐसे में अगर महापौर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता और पद रिक्त हो जाता तो चुनाव कराना पड़ते। इसके कारण ही अभी तक महापौर का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। दरअसल नियम के तहत 6 माह से अधिक समय बचने पर चुनाव कराना जरूरी होते हैं। जिसके कारण शासन इस समय को निकाल रहा था। 10 जुलाई को अब कार्यकाल के 6 महीने बचे हैं। इसके बाद अब कभी भी महापौर का इस्तीफा स्वीकार किया जा सकता है।नगर निगम एक्ट में प्रावधान है कि जब तक महापौर के चुनाव नहीं होते हैं तब तक महापौर के कार्यभार निभाने की जिम्मेदारी शासन द्वारा पार्षद को सौंपी जा सकती है।
दो पार्षद के नामों को लेकर चर्चा
महापौर की जिम्मेदारी निभाने के लिए कांग्रेस पार्षद उम्मीद लगाएं बैठे हैं। परिषद में बीजेपी का बहुमत होते हुए भी अब महापौर के कार्य निभाने की जिम्मेदारी शासन को तय करना है। कुछ नेताओं ने महापौर का यह पद नहीं लेने की भी बात कही है। वहीं कांग्रेस पार्षद इससे इत्तेफाक नहीं रखते और जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं। महापौर के कार्यभार के लिए दो पार्षदों के नामों पर चर्चा चल रही है जिसमें नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित जहां प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं तो वहीं उप नेता प्रतिपक्ष चतुर्भुत धनोलिया भी दावेदार हैं। सूत्रों की मानें तो महापौर के नाम पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ही मुहर लगाएंगे।