scriptनेशनल, इंटरनेशनल 2239 अवॉर्ड जीतकर शहर का किया नाम रोशन | National, International won the 2239 award, named the city illuminated | Patrika News

नेशनल, इंटरनेशनल 2239 अवॉर्ड जीतकर शहर का किया नाम रोशन

locationग्वालियरPublished: Dec 16, 2019 06:22:38 pm

जीआरएमसी (गजराराजा मेडिकल कॉलेज) से एमएस (मास्टर ऑफ सर्जरी) कर रही डॉ. शिराली रुनवाल नीट-2018 में ऑल इंडिया गल्र्स टॉपर रहीं। उनका सपना स्पेशलाइजेशन रोबोटिक असिस्टेड गाइनिक सर्जरी करना है।

shirali runwal

नेशनल, इंटरनेशनल 2239 अवॉर्ड जीतकर शहर का किया नाम रोशन

ग्वालियर . जीआरएमसी (गजराराजा मेडिकल कॉलेज) से एमएस (मास्टर ऑफ सर्जरी) कर रही डॉ. शिराली रुनवाल नीट-2018 में ऑल इंडिया गल्र्स टॉपर रहीं। उनका सपना स्पेशलाइजेशन रोबोटिक असिस्टेड गाइनिक सर्जरी करना है। इसके लिए वह दो साल विदेश में फैलोशिप करेंगी। इसके बाद इंडिया में आकर ही सेवाएं देंगी। शिराली अभी तक 8 नेशनल, 6 इंटरनेशनल सहित 2239 अवॉर्ड पर कब्जा जमा चुकी हैं। एमबीबीएस के दौरान उन्होंने 37 गोल्ड मेडल और प्रेस्टीजियस अवार्ड अपने नाम किया। इसके साथ ही वह ग्वालियर रत्न अलंकरण से भी नवाजी जा चुकी हैं।

मिल चुका प्रेसीडेंट अवॉर्ड
शिराली की पोयम एनसीईआरटी, सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड में पब्लिस्ड हो चुकी हैं। उन्हें प्रेसीडेंट अवॉर्ड मिल चुका है। उनके तैयार किए लिरिक्स ‘बम बम बोलेÓ फिल्म तारे जमीं पर धूम मचा चुके हैं। वह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मिशन की ब्रांड एम्बेसडर हैं।

पढ़ाई के साथ निभा रही घर की जिम्मेदारी भी
शिराली पढ़ाई के साथ-साथ केआरएच की ड्यूटी और अपने घर की जिम्मेदारी को बखूबी निभाती हैं। उनका सपना गाइनिक रोबोटिक सर्जन बनना है, जिसके लिए वह दिन-रात मेहनत करती हैं। इसके लिए तैयारी उन्होंने अभी से शुरू कर दी है।
कल्चर सहित हर फील्ड में अव्वल
शिराली ने अपने आपको बहुत ही कम समय में ग्रूम किया। उन्होंने एकेडमिक, आर्ट, कल्चर में पार्टिसिपेट करने की शुरुआत पांच साल की उम्र से कर दी थी। शुरुआत में शिराली ने विभिन्न संस्थाओं द्वारा होने वाले प्रोग्राम में बतौर प्रतियोगी के रूप में भाग लिया। अपने टैलेंट के बल पर वह हमेशा विनर रहीं और आज उन्हीं प्रोग्राम में वह जजमेंट करती हैं। अपने इस टैलेंट का श्रेय उन्होंने अपने पैरेंट्स को दिया।

शिराली ने कहा – पापा अकेले न रहें, इसलिए कर रहीं एमएस
नीट में शिराली का 99.9999 परसेंटेज था। उनके लिए एम्स सहित सभी दरवाजे ओपन थे, लेकिन उन्होंने जीआरएमसी को चुना। क्योंकि उनकी मां सुधा रुनवाल बीमार (किडनी रोग) हैं, जो जयपुर में अपने भाई के यहां रहकर ट्रीटमेंट ले रही हैं। वहीं पापा अरविंद रुनवाल और शिराली ग्वालियर में ही रह रहे हैं। शिराली अपने पापा को अकेले नहीं छोडऩा चाहती थी, इसलिए उसने जीआरएमसी में ही एमएस की डिग्री लेने का निश्चय लिया।
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