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National Potato Day: उत्तरप्रदेश में बढ़ी ग्वालियर के कुफरी चिप्सोना-1 आलू की मांग, 400 से बढकऱ 1000 क्विंटल का हुआ बीज का ऑर्डर

locationग्वालियरPublished: Aug 19, 2019 02:30:27 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र में कुफरी चिप्सोना-1 की पैदावार लगभग 450 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है

National Potato Day potato research center gwalior develop new spices

National Potato Day: उत्तरप्रदेश में बढ़ी ग्वालियर के कुफरी चिप्सोना-1 आलू की मांग, 400 से बढकऱ 1000 क्विंटल का हुआ बीज का ऑर्डर

नीरज चतुर्वेदी @ ग्वालियर

आलू अनुसंधान केन्द्र में तैयार आलू के बीज की मांग देशभर में है। अब सबसे ज्यादा मांग उत्तरप्रदेश से आई है। यहां से हर साल लगभग 400 क्विंटल बीज उत्तरप्रदेश जाता था, अब एक हजार क्विंटल की मांग है। इसके चलते अनुंसधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने इसकी पैदावार बढ़ाने के प्रयास भी तेज किए हैं। चिप्स बनाने के लिए सबसे ज्यादा कुफरी चिप्सोना-1 आलू लोगों को पसंद आया है। अनुसंधान केन्द्र से यह बीज उत्तरप्रदेश के साथ मालवा, पश्चिम बंगाल भी काफी मात्रा में जाता है। केन्द्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र में कुफरी चिप्सोना-1 की पैदावार लगभग 450 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है। इसके हिसाब से अब डिमांड दोगुना से ज्यादा हो गई है।

चार केन्द्रों पर खेती
देश में कुछ समय पहले तक पांच आलू अनुसंधान केन्द्रों पर आलू के बीज तैयार होते थे, जिनमें ग्वालियर, मेरठ, जालंधर, पटना और हिमाचल प्रदेश शामिल थे लेकिन सरकार ने हिमाचल में आलू अनुंसधान केन्द्र पर रोक लगा दी, इससे अब चार केन्द्रों में ही आलू के बीज तैयार हो रहे हैं।

आठ प्रजातियों के बीज होते हैं तैयार
केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा आलू की 53 प्रजातियों का विकास किया जा चुका है। जिनमें 8 प्रजातियों का बीज ग्वालियर केन्द्र में तैयार किया जाता है। आलू की प्रजातियों का विकास देश की विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु के अनुकूलन के हिसाब से किया गया है। जैसे कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी सिन्दूरी की मांग अधिक है। कई क्षेत्रों में कुफरी लवकार, कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-3 के साथ कुफरी सूर्या, कुफरी पुखराज की मांग है।

लोगों की पसंद में आया बदलाव
समय के साथ आलू की मांग में भी बदलाव आया है। कुछ समय पहले तक लोग खाने के लिए चंद्रमुखी और अशोका आलू की मांग करते थे, अब पुखराज की मांग बढऩे लगी है। वहीं चिप्स बनाने में पहले कुफरी ज्योति और कुफरी लवकार की मांग थी, लेकिन अब चिप्स में कुफरी चिप्सोना-1 की मांग बढ़ गई है।

कुफरी पुखराज और कुफरी सूर्या की बढ़ी मांग
आलू अनुसंधान केन्द्र में खाने के बीजों में कुफरी पुखराज और कुफरी सूर्या की मांग बढऩे लगी है। कुफरी सूर्या यहां 2015 में आया था। इसका बीज मार्च-2020 में तैयार होकर मिलने लगेगा। इसकी खासियत यह है कि यह गर्मी को सहन करने की क्षमता रखता है। इसमें कीट भी कम आते हैं। कुफरी पुखराज की भी अच्छी पैदावार होती है। यह मालवा, गुजरात, बंगाल के साथ बिहार जाता है।

कुफरी चिप्सोना-1 की डिमांड
कुफरी चिप्सोना-1 की डिमांड इस बार काफी ज्यादा आ गई है। उत्तरप्रदेश ने एक हजार क्विंटल बीज की मांग कर दी है। इसके चलते अब इसकी अधिक पैदावार के लिए भी प्रयास किए जाएंगे। अन्य आलू की प्रजातियों की मांग में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
डॉ.शिवप्रताप सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष आलू अनुसंधान केन्द्र

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