चार केन्द्रों पर खेती
देश में कुछ समय पहले तक पांच आलू अनुसंधान केन्द्रों पर आलू के बीज तैयार होते थे, जिनमें ग्वालियर, मेरठ, जालंधर, पटना और हिमाचल प्रदेश शामिल थे लेकिन सरकार ने हिमाचल में आलू अनुंसधान केन्द्र पर रोक लगा दी, इससे अब चार केन्द्रों में ही आलू के बीज तैयार हो रहे हैं।
आठ प्रजातियों के बीज होते हैं तैयार
केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला द्वारा आलू की 53 प्रजातियों का विकास किया जा चुका है। जिनमें 8 प्रजातियों का बीज ग्वालियर केन्द्र में तैयार किया जाता है। आलू की प्रजातियों का विकास देश की विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु के अनुकूलन के हिसाब से किया गया है। जैसे कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति, कुफरी सिन्दूरी की मांग अधिक है। कई क्षेत्रों में कुफरी लवकार, कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-3 के साथ कुफरी सूर्या, कुफरी पुखराज की मांग है।
लोगों की पसंद में आया बदलाव
समय के साथ आलू की मांग में भी बदलाव आया है। कुछ समय पहले तक लोग खाने के लिए चंद्रमुखी और अशोका आलू की मांग करते थे, अब पुखराज की मांग बढऩे लगी है। वहीं चिप्स बनाने में पहले कुफरी ज्योति और कुफरी लवकार की मांग थी, लेकिन अब चिप्स में कुफरी चिप्सोना-1 की मांग बढ़ गई है।
कुफरी पुखराज और कुफरी सूर्या की बढ़ी मांग
आलू अनुसंधान केन्द्र में खाने के बीजों में कुफरी पुखराज और कुफरी सूर्या की मांग बढऩे लगी है। कुफरी सूर्या यहां 2015 में आया था। इसका बीज मार्च-2020 में तैयार होकर मिलने लगेगा। इसकी खासियत यह है कि यह गर्मी को सहन करने की क्षमता रखता है। इसमें कीट भी कम आते हैं। कुफरी पुखराज की भी अच्छी पैदावार होती है। यह मालवा, गुजरात, बंगाल के साथ बिहार जाता है।
कुफरी चिप्सोना-1 की डिमांड
कुफरी चिप्सोना-1 की डिमांड इस बार काफी ज्यादा आ गई है। उत्तरप्रदेश ने एक हजार क्विंटल बीज की मांग कर दी है। इसके चलते अब इसकी अधिक पैदावार के लिए भी प्रयास किए जाएंगे। अन्य आलू की प्रजातियों की मांग में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
डॉ.शिवप्रताप सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष आलू अनुसंधान केन्द्र