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पांच जिलों में 525 मुक्तिधाम बनाए जाने की दरकार

locationग्वालियरPublished: Sep 26, 2022 12:21:45 pm

Submitted by:

bhupendra singh

शिवपुरी, भिण्ड एवं मुरैना के कई गांव में अंतिम संस्कार के लिए हो रही परेशानीदतिया व श्योपुर कई गांव भी श्मसान नहीं होने से ग्रामीण परेशान

 Muktidham

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भूपेन्द्र सिंह
सनातन धर्म के मुताबिक विधि- विधान से अंतिम संस्कार किए जाने पर परिजन को सदगति और मुक्ति मिलती है, लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग के कई जिलों में लोगों को मरने के बाद अंतिम संस्कार भी ठीक से नसीब नहीं हो पा रहा है। इसका कारण पांच जिलों के कई गांवों में अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम का नहीं होना है। संभाग के मुरैना, शिवपुरी, भिण्ड, दतिया एवं श्योपुर में 525 मुक्तिधाम बनाए जाने की आवश्यकता कई साल से महसूस की जा रही है। शासन स्तर पर मुक्तिधाम निर्माण के लिए करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च तो दर्शाई गई पर धरातल पर श्मसान नहीं बन पाए। मुक्तिधाम के लिए जमीन चिन्हित नहीं होने से कई जिलों में खेतों और नदी के किनारे अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। सड़क किनारे अंतिम संस्कार करना भी लोगों को मजबूरी बन गया है। श्योपुर जिले के 25 गांवों में मुक्तिधाम नहीं। शिवपुरी जिले की 600 ग्राम पंचायतों के करीब 100 गांवों में मुक्तिधाम नहीं हैं। भिण्ड जिले की 444 ग्राम पंचायतों के भी 300 से ज्यादा गांव श्मसान विहीन हैं। वहीं मुरैना जिले की 478 ग्राम पंचायतों के लगभग 50 गांव के लोग मुक्तिधाम नहीं होने से परेशानी का सामना करते आ रहे हैं। दतिया जिले के 35 गांवों में मुक्तिधाम निर्माण कराए जाने की जरूरत बनी हुई है।
मिट्टी के तेल से जलानी पड़ रही है लाशें
ग्वालियर जिले के रमपुरा गांव में भी चिता की आग बुझने पर केरोसिन डालकर चिता जलाने का मामला सामने आ चुका है। मुक्तिधाम के अभाव में बरसात के दौरान ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। बरसात के चलते शिवपुरी में भी मिट्टी के तेल जरिए परिजनों द्वारा मिट्टी के तेल के जरिए दाह सस्कार करने का मामला सामने आया था।
बरसात में चिता जलाने में ताननी पड़ती है तिरपाल
बरसात के दौरान अंतिम संस्कार करना बेहद मुसीबत भरा हो जाता है। चिता को आग देने के बाद पानी बरसने की स्थिति में लोगों को चिता के ऊपर तिरपाल ताननी पड़ती है। बावजूद इसके चिता की आग बुझने पर उसे पुनरू जलाने के लिए मिट्टी और डीजल का सहारा लेना पड़ता है। ऐसी कई घटनाएं हाल के दिनों में कई जिलों में सामने आ चुकी है। शुक्रवार को मुरैना में बरसात के कारण अतिंम संस्कार के लिए परिजनों को दोपहर तक इंतजार करना पड़ इसके बाद भी बरसात नहीं रुकी तो टिन की चद्दरों की मदद से अंतिम संस्कार करना पड़ा।
सांसद ने राशि स्वीकृत करवाई एअफसर नहीं बना सके श्मशान
भिण्ड जिले के 500 से अधिक गांवए मजरे व टोलों में मुक्तिधाम निर्माण कराए जाने के लिए तत्कालीन सांसद डॉण् भागीरथ प्रसाद ने करोड़ों रुपए शासन से स्वीकृत कराए थे। 50 से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां मुक्तिधाम निर्माण के लिए स्वीकृति होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जा सका। निर्माण कार्य के लिए भेजी गई धनराशि तक लेप्स हो गई। वहीं 40 से ज्यादा ऐसे गांव व मजरे भी हैं जहां कागजों में मुक्तिधाम निर्माण दर्शाया गया है जबकि जमीनी स्तर पर चबूतरे बनाकर छोड़ दिए गए। शिवपुरीएश्योपुरए मुरैना एवं दतिया में भी कमोबेश यही हाल है।
सड़क पर दाह संस्कार आयोग ने जारी किया था नोटिस
भिण्ड के मेहगांव अंतर्गत अजनौल गांव में यह नजारा हाल ही में सामने आया था। एक बुजुर्ग महिला के अंतिम संस्कार के मामले में मानवाधिकार आयोग ने कलक्टर को नोटिस भी जारी किया था। इसके बाद बाद प्रशासन ने आनन फानन में गांव में श्मसान का निर्माण कार्य शुरू करा दिया।
फैक्ट फाइल
100 से ज्यादा मुक्तिधाम विहीन गांव हैं शिवपुरी जिले में
300 लगभग गांव में मुक्तिधाम नहीं भिण्ड जिले में
100 से अधिक मुरैना जिले के गांव में नहीं हैं मुक्तिधाम
35 मुक्तिधाम बनाए जाने की जरूरत दतिया जिले में
25 मुक्तिधाम बनाए जाने की जरूरत श्योपुर जिले में
15 मुक्तिधाम डबरा में बनाए जाने की आवश्यकता
इनका कहना है
अंचल में अंतर्गत सभी जिलों के ऐसे गांव चिन्हित कर वहां मुक्तिधाम निर्माण कराए जाने के निर्देश संबंधित जिला पंचायत सीईओ को दिए गए हैं।
आशीष सक्सेना आयुक्त चंबल संभाग ग्वालियर

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