पुलिस की लापरवाही ने ले लीं दो जानें
रेप पीडि़ता की नहीं सुनी शिकायत तो दे दी जान, दहेज प्रताडऩा के मामले में डेढ़ साल टरकाया तो पिता ने दी जान
पुलिस की लापरवाही ने ले लीं दो जानें
ग्वालियर। अक्सर सुना जाता है कि पुलिस थाने में सुनवाई नहीं होती। ऐसा ही दो मामलों में दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जब पुलिस ने फरियाद नहीं सुनी तो पीडि़तों को मौत को गले लगाना पडक़ा। ऐसे ही दो मामलों में पीडि़तों को अपनी जान तक देनी पड़ी। एक मामले में तो रेप पीडि़ता को आरोपी के परिजन सरेराह रोककर और घर में घुसकर धमकाते रहे, लेकिन इसके बावजूद पुलिस पीडि़तों की शिकायत को अनसुनी करती रही।
जनकगंज थाना क्षेत्र में रहने वाली एक नाबालिग से मेडिकल कारोबारी उस्मान खां ने दुष्कर्म कर दिया। जिस समय दुष्कर्म किया गया नाबालिग के माता-पिता शीतला माता मंदिर गए थे। दो महीने तक लडक़ी सहमी रही, क्योंकि दुष्कर्म के बाद उसे धमका गया था कि मुंह मत खोलना। जब घटना सामने आई तो माता पिता ने शिकायत की, पुलिस ने आरोपी को पकड़ कर जेल भेज दिया। अब उसके माता पिता चाहते थे कि पीडि़ता कोर्ट में उसके खिलाफ बयान नहीं दे इसलिए पीडि़ता को धमकाया कि अगर बेटे के खिलाफ बयान दिए तो उसके परिवार को मार डालेंगे दहशत में आकर पीडि़ता ने फांसी लगा ली।
वहीं ब्रह्मजीत शर्मा (48) को भी फांसी लगाकर जान देनी पड़ी। पिछले करीब सवा साल से महिला थाने के हर दिन चक्कर काट रहे थे कि बेटी दिव्या को ससुराल में प्रताडि़त किया गया है उनकी फरियाद सुनी जाए लेकिन महिला थाने की टीआइ से लेकर सिपाही तक रोज टरकाते थे। हर बार नई तारीख बताकर वापस लौटा देते थे। दिव्या की शादी पिछले साल फरवरी में आगरा निवासी योगेश से की थी। ससुराल में उसे दहेज के लिए तंग किया गया मारा पीटा जाता था। फिर योगेश उसे साथ में दिल्ली ले गया वहां भी उसे प्रताडि़त किया। यह हालत कर दी कि उसकी जान जा सकती थी तो बहन को वह घर ले आए थे। यहां करीब एक करीब एक महीने उसका इलाज चला था। सारा मामला एसपी नवनीत भसीन को भी बताया था। उन्होंने भी महिला थाना टीआइ से दिव्या को ससुराल में प्रताडि़त करने वालों पर एफआइआर के आदेश दिए थे, लेकिन फिर भी महिला थाने ने कार्रवाई नहीं की। दो दिन से पिता रोज थाने जा रहे थे, अब उन्हें फिर आगे की तारीख देकर लौट दिया था। इसलिए परेशान थे। सोमवार को उन्होंने सुसाइड नोट लिखकर फांसी लगाई।