बॉडी बिल्डिंग के शौकीन हैं तो फिर इस नेशनल एक्सपर्ट की बात गौर से सुनें, ये फैक्ट होश उड़ा देगा
रेत का उत्खनन से लेकर परिवहन तक की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को दी जा रही है। हाल ही में चार पंचायतों को रेत हस्तांतरित की जा चुकी है। बाकी 14 ग्राम पंचायतों को खदानें हस्तांतरित करने की कार्रवाई की जा रही है। नई व्यवस्था में जो खास बात सामने आई है वह है कि पंचायतों के सरपंच-सचिव भी रेत का हिसाब देने पर बाध्य होंगे। अगर माइनिंग विभाग या कलेक्टर को लगा कि पंचायतों की ओर से रेत निकाली जा रही ज्यादा और रॉयल्टी मिल रही कम तो संबंधित सरपंच-सचिव व नगर पालिका क्षेत्र में सीएमओ पर एफआईआर की गाज गिर सकती है। ताकि रक्षक ही भक्षक न बन सकें।
20 ग्राम पंचायतों में हैं खदानें : जिले के तीनों ब्लाक सेंवढ़ा, दतिया व भांडेर में रेत की खदानें हैं। इन ब्लाकों में कुल 20 ग्राम पंचायतों के 50 से ज्यादा गांवों के मौजे से रेत निकाली जाती है। इन्हें जल्द से जल्द पंचायतों को सौंपा जा रहा है। संभवत: अगले महीने तक सारी खदानें सौंप दी जाएगीं। प्रावधान यह भी है कि रेत उत्खनन के बाद परिवहन कर ले जाई जा रही रेत की चेकिंग तक सड़क पर नहीं होगी।
पहले राशि फिर भरी जा सकेगी रेत
नई व्यवस्था में यह भी कहा गया है कि किसी भी खदान से रेत निकालने से पहले उसकी रॉयल्टी कियोस्क के माध्यम से पंचायत के खाते में आ जाए। उसकी रसीद दिखाने पर ही खदान से रेत भरी जा सकेगी। इसके लिए ग्राम पंचायत कार्यालय में सारी व्यवस्था रहेगी। रेत खरीदने वालों को 100 रुपए प्रति घन फीट के हिसाब से रॉयल्टी चुकानी पड़ेगी। समय-समय पर इसकी जांच भी की जाएगी जांच में अगर रॉयल्टी व रेत निकासी में अंतर पाया गया तो संबंधित पंचायत के सरपंच-सचिव के खिलाफ एफआईआर होगी।
सारी जिम्मेदारी पंचायतों की
“रेत उत्खनन से लेकर परिवहन तक सारी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों व नगरीय निकायों की होगी। अगर रेत के मामले में कोई भी गड़बड़ी होती है तो पंचायतों से ही जबाव मांगा जाएगा । रॉयल्टी के मामले में भी पूरा हिसाब पंचायतें देंगी।”
रवि पटेल, जिला खनिज अधिकारी
फैक्ट फाइल
20 ग्राम पंचायतों में हैं रेत की खदानें
50 गांवों ऐसे हैं जिनके क्षेत्र से निकाली जाती है रेत
04 खदानें की जा चुकीं पंचायतों को हस्थांतरित