ट्रेनों में अगर यात्री खाने का बिल मांगता है तो उसे मना कर दिया जाता है या फिर एक कैशमेमो पकड़ा दिया जाता है इसमें न तो फर्म का नाम होता है न ही ट्रेन का और न ही पेंट्रीकार संचालक का भी जिक्र होता है। विशाखापट्टम और निजामुद्दीन जाने वाले रूटों पर ग्वालियर स्टेशन से जाने वाली ट्रेनों में पत्रिका टीम ने रियलिटी चेक की तो यह हकीकत सामने आई। ओवरचार्जिंग का तो यह हाल है कि 55 रुपए वाला भोजन यात्री को 80 से 100 रुपए में दिया जा रहा है।
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केस-1 : मशीन तो हमारे पास अभी आई ही नहीं
समय : दोपहर 1.25 बजेरेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म दो पर विशाखापट्टम से अमृतसर जा रही हीराकुंड एक्सप्रेस के पेंट्रीकार मैनेजर मनीष से जब पीओएस मशीन के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि मशीन हमारे पास अभी आई नहीं है। यात्रियों को हम भोजन तो उपलब्ध कराते हैं, लेकिन जब कोई यात्री बिल की बात करता है तो उसे कैशमेमो देते हैं, लेकिन जब पत्रिका टीम ने कैशमेमो देखने की बात कही तो मैनेजर ने कहा कि आज ही कैशमेमो खत्म हो गए।
आने वाली हैं मशीनें
ज्यादातर ट्रेनों में अभी पेंट्रीकार संचालकों को पीओएस मशीन उपलब्ध नहीं कराई गई है यह बात सही है। लंबे रूट की कई ट्रेनों में यह मशीन आ गई है। जल्द ही सभी ट्रेनों में पीओएस मशीन पहुंच जाएंगी। उसके बाद यात्रियों को बिल मिलना भी शुरू हो जाएंगे।
सिद्धार्थ सिंह, पीआरओ आइआरसीटीसी
केस-3 : आप क्यों चिंता करते हो, ट्रेनों में तो सब ऐसे ही चलता है
समय : दोपहर 2.15 बजे
प्लेटफॉर्म एक पर निजामुद्दीन से एरनाकुलम जा रही मंगला एक्सप्रेेस के पेंट्रीकार मैनेजर संतोष से जब पत्रिका टीम ने बात की तो उन्होंने कहा कि आप लोग मेरी बात सुनो ट्रेनों में हम लोग मशीन लेकर नहीं चलते। आप लोग क्यों चिंता करते हो। ट्रेनों में तो सब कुछ ऐसे ही चलता है। इसके बाद जब रिपोर्टर पेंट्रीकार से उतरने लगे तो मैनेजर ने एक कैशमेमो दिखाया। इस पर किसी फर्म के साथ न तो हस्ताक्षर थे और न ही ट्रेन या यात्री का नाम था।
कैशमेमो नहीं दिखा पाए और रवाना हो गई ट्रेन
समय : दोपहर 1.45 बजे
लेटफॉर्म दो पर निजामुद्दीन जा रही समता एक्सप्रेस जैसे ही आई तो पेंट्रीकार मैनेजर से पत्रिका टीम ने पूछा। पहले तो वह मिले ही नहीं, लेकिन जैसे ही मैनेजर अखिलेश से पीओएस और कैशमेमो की बात की तो उन्होंने बताया कि मशीन तो अभी नहीं है। हम लोग यात्रियों को कैशमेमो से ही बिल देते हैं, लेकिन जब कैशमेमो दिखाने को कहा तो उनके सभी साथ कैशमेमो ढंूढने में लग गए और तीन मिनट तक वह कैशमेमो नहीं दिखा पाए और ट्रेन चल दी।
60 का खाना 80 रुपए में लिया
हीराकुंड एक्सप्रेस के एस-5 कोच की तीन नंबर सीट पर परिवार के साथ यात्रा कर रहे नरेश कुमार ने बताया कि मैंने पेंट्रीकार से डबरा के आसपास खाना लिया तो 60 रुपए वाला खाना मुझे 80 रुपए में दिया। ट्रेनों में यात्रा करने के दौरान तो ऐसी परेशानी आती ही है। खाना अच्छा मिल जाए वही बहुत है।