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मानव मस्तिष्क से बड़ा कोई कंप्यूटर नहीं

locationग्वालियरPublished: Mar 27, 2019 07:31:30 pm

Submitted by:

Harish kushwah

डाटा संरक्षित करने का एमएस एक्सेल सबसे अच्छा टूल है। इसमें किसी भी प्रकार का सुरक्षित डेटा रख सकते हैं। आज 90 परसेंट से ज्यादा लोग कम्प्यूटर का उपयोग सिर्फ टाइपिंग के लिए करते हैं। जबकि एमएस एक्सेल के और भी कार्य होते हैं।

Workshop

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ग्वालियर. डाटा संरक्षित करने का एमएस एक्सेल सबसे अच्छा टूल है। इसमें किसी भी प्रकार का सुरक्षित डेटा रख सकते हैं। आज 90 परसेंट से ज्यादा लोग कम्प्यूटर का उपयोग सिर्फ टाइपिंग के लिए करते हैं। जबकि एमएस एक्सेल के और भी कार्य होते हैं। यह बात प्रो. अश्विनी श्रीवास्तव ने मंगलवार को जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रबंध अध्ययनशाला में आयोजित कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर कही। यह वर्कशॉप जीवाजी यूनिवर्सिटी के मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित किया जा रहा है। कार्यशाला की अध्यक्षता डॉ. राजेन्द्र खटीक ने की।
हमेशा बेहतर करने की करें कोशिश

प्रो. उमेश होलानी ने कहा कि आज कम्प्यूटर के अनेक लाभ हैं। साथ ही हानि भी है। इसलिए हमें इसका सार्थक उपयोग करना चाहिए। जब भी कोई नई तकनीक आती है, उससे हमें सीखकर कुछ बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए। डॉ. खटीक ने बताया कि भारतीय युवा अपने मस्तिष्क की तीव्रता को कम्प्यूटर की तुलना में कहीं है। मानव मस्तिष्क से बड़ा कोई कम्प्यूटर नहीं। इसलिए कम्प्यूटर के युग मे भी मस्तिष्क की भूमिका ही अहम है। इसलिए हमें इसका सदुपयोग करना चाहिए ।
तुलनात्मक अध्ययन के लिए भी उपयोगी

डॉ. सुविधा अवस्थी ने एमएस एक्सल के विभिन्न उपयोगों की विधि बताई। उन्होंने सेलरी शीट, सेल पर्चेस सेलरी, मैनेज शॉर्टिग डाटा एंड फि ल्टर फंक्शन, कंडिशनल फ ॉर्मेटिंग आटो फ ायलिंग पर प्रैक्टिकल इम्लिमेंटेंशन कर छात्रों को प्रयोगात्मक अभ्यास करवाया। उन्होंने बताया कि प्रबंधन के क्षेत्र मेंं एक्सेल बहुत ही उपयोगी टूल है। इसके माध्यम से ही डाटा को संरक्षित कर उसका अध्ययन किया जाता है। किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति अध्ययन करने के लिए व किसी भी कंटेट का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए यह टूल उपयोगी है।
नई तकनीक समझें स्टूडेंट्स

डॉ. स्वर्णा परमार ने बताया कि नई तकनीकों को हमें सीखना चाहिए। यदि आप ऐसा नही करते हैं, तो पिछड़ जाएंगे। यदि एक बार पिछड़े, तो पिछड़ते ही चले जाएंगे। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों का स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के छात्रों सहित डॉ. स्मिता सिंह, डॉ. प्रियदर्शनी नागौरी, डॉ. शान्तिदेव सिसौदिया, डॉ. रीना शर्मा, निक्की जैन आदि उपस्थित थे।
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