scriptन निगरानी, न चेतावनी लगा रहे मौत की डुबकी, 41 दिन में 8 की मौत | No monitoring, no warning dip, death of 8 in 41 days | Patrika News

न निगरानी, न चेतावनी लगा रहे मौत की डुबकी, 41 दिन में 8 की मौत

locationग्वालियरPublished: Jul 12, 2019 01:43:07 pm

Submitted by:

Parmanand Prajapati

न निगरानी, न चेतावनी लगा रहे मौत की डुबकी, 41 दिन में 8 की मौत

न निगरानी, न चेतावनी लगा रहे मौत की डुबकी, 41 दिन में 8 की मौत

न निगरानी, न चेतावनी लगा रहे मौत की डुबकी, 41 दिन में 8 की मौत

ताल, तलैया में डुबकी का शौक पिछले 41 दिन में 8 लोगों की जान ले चुका है। इनमें ज्यादातर को तैरना नहीं आता था, लेकिन यहां बड़ी खामी यह है कि जहां यह लोग नहाते समय डूबे हैं, वहां चेतावनी और सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है, इसलिए पानी में उतरने वालों को न तो यह पता था कि ताल कितना गहरा है, उसमें नहाना जोखिम भरा हो सकता है। उसे पानी से भरा सामान्य गड्ढा समझकर उतरना उनकी मौत का कारण बन गया। ज्यादातर मृतकों के परिजन ने हादसे को साजिश मानकर शिकायतें कीं, लेकिन पुलिस ने जांच में यही बताया कि तैरने का शौक मौत का कारण बना है।

जू न से जुलाई के महीने तक पुलिस के रिकॉर्ड में पांच लोग शहर के अंदर बने तालाबों और गड्ढों में डूबे हैं। इनमें एक गड्ढा लाल टिपारा, मुरार में अमृत योजना के तहत खोदा गया थे। इसमें बरसात का पानी भर गया था। सरकारी खामी यह रही कि गड्ढा खोदने के बाद उसके आसपास कोई बोर्ड या गड्ढे तक लोगों की पहुंच रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया। न यह चेतावनी लिखी गई कि गड्ढा गहरा है, उसमें उतरना जोखिमभरा हो सकता है। गड्ढे की गहराई से नावाकिफ होना बुधवार को उसमें तैरने के लिए उतरे अभिषेक तोमर (18) और अतुल बाथम (18) की मौत का कारण बन गया। घटना से लोग आक्रोश में हैं, लेकिन ऐसे
हादसे दोबारा नहीं हों, इसके लिए पुख्ता इंतजाम नहीं हो सके हैं।
यह हों इंतजाम
स्थाई और अस्थाई पिकनिक स्पॉट पर समय पर निगरानी, यहां आने वालों को इलाके में जोखिम के बारे में चेतावनी के लिए बोर्ड लगे होने चाहिए।
ऐसे बांध और तालाब जो पिकनिक, पार्टी के लिए चिह्नित हैं वहां गार्ड, पेट्रोलिंग सीसीटीवी से निगरानी का इंतजाम हो।
पिकनिक स्पॉट पर नशा कर पानी में उतरने वालों पर कार्रवाई, औचक चेकिंग हो।
डुबकी के शौक में मौत का बड़ा प्वॉइंट मोतीझील ताल बन चुका है, यहां विकलांग मिस्त्री असलम (22) और आकाश कुशवाह (31) की जान गई है। दोनों ताल पर दोस्तों की टोली के साथ पिकनिक मनाने आए थे। ताल कितना गहरा है, इस बारे में न तो उन्हें पता था, न वहां मौजूद दूसरे लोगों को जानकारी थी। इस ताल का इस्तेमाल फिल्टर प्लांट में पानी सप्लाई के लिए होता है, जाहिर है उसमें तैरना मना है, लेकिन ताल के आसपास इस बारे में न तो कोई चेतावनी लिखी गई है और न ही ताल की लंबाई, चौड़ाई दर्ज है। इसके अलावा ताल के आसपास निगरानी के लिए गार्ड भी तैनात नहीं है।
इन ताल, तलैयों पर भी हादसे

बेहट में अनूप कुशवाह (23) बरसाती नदी मेंं डूब गया, उसका शव करीब डेढ़ किलोमीटर दूर भिंड जिले की हद में मिला। तानसेन की जन्म स्थली होने की वजह से बेहट में सैलानियों की आवाजाही रहती है, इसके बावजूद नदी पर आने-जाने वालों की निगरानी, उसमें नहाने के चिह्नित स्थान के बारे में कोई लिखित जानकारी दर्ज नहीं है।
आंतरी के भरथरी गांव में क्रिकेट खेलने गए किशोर (17) और राहुल (12) तालाब में डूब गए।
आनंद कुशवाह (21) सागरताल में कूदा। शहर के बीचों-बीच यह ताल पिछले कुछ समय में सुसाइड प्वॉइंट के नाम से कुख्यात हो चुका है। खुदकुशी की तमाम घटनाओं के बावजूद यहां निगरानी के इंतजाम नहीं हैं।
पिकनिक स्पॉट के पास नशे के अड्डे : तिघरा डैम, बधावना, रमौआ बांध, जड़ेरुआ बांध, वीरपुर बांध, हनुमान बांध , जनकताल के अलावा शहर के बाहर कई जल स्त्रोत और तालाब बरसात के दिनों में पिकनिक स्पॉट बन जाते हैं। ज्यादातर स्पॉट के पास देसी और अंग्रेजी शराब की दुकानें हैं। कई लोग नशे में पानी में कूद जाते हैं और नशे का सुरूर कम होने पर स्पॉट के पास बनी दुकानों से शराब की खरीद करने में आसानी होती है।

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