गोपाचल पर्वत पर सुबह 7 बजे अजीत दीवान और आदर्श दीवान ने विधि विधान से पूजन कर पचरंगा ध्वज फहराया। जैन समाज के सैकड़ों लोगों ने पहुंचकर, पाŸवनाथ भगवान का अभिषेक कर मंत्रोच्चार के साथ शांतिधारा की, इसके बाद आरती की गई और भगवान को सम्मोशरण में विराजमान किया। श्रद्धालुओं ने पीले वस्त्र पहनकर पाŸवनाथ का अष्टद्रव्य से पूजन किया। साथ ही भक्तों ने भजनों पर नृत्य किया।
निर्वाण कांड के बाद 23 किलो का लाडू भगवान पाŸवनाथ के चरणों में चढ़ाया गया। लाडू श्यामलाल विजयवर्गीय व अन्य ने चढ़ाया। शाम को यहां से भगवान पाŸवनाथ की पालकी वापस जैन मंदिर गोपाचल पहुंची।
नई सडक़ चम्पाबाग बगीची में संस्कार सागर महाराज के सानिध्य में भगवान पाŸवनाथ को 23 किलो का लाडू चढ़ाकर पूजा अर्चना की गई। साथ ही 44 परिवार ने पाŸवनाथ का अभिषेक मंत्रोच्चार के साथ किया। इस अवसर पर मनोज जैन, सचिन जैन आदि मौजूद रहे। नया बाजार जैन मंदिर में मुनिश्री अविचल सागर महाराज के सानिध्य में भगवान पाŸवनाथ को लाडू समर्पित किया। इस अवसर पर मंदिर कमेटी के सुधीर जैन, सुभाष जैन, सिंघई प्रशांत जैन, विमल जैन अभिषेक जैन, ललित जैन आदि मौजूद रहे। उरवाई गेट के पास स्थित दिगंबर जैन मंदिर में भी अभिषेक और शांतिधारा कर भगवान को निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इस अवसर पर पवन जैन, अक्षय जैन आदि मौजूद रहे।
ऐसे बनाया जाता है लाडू
23 किलो के लाडू को मंदिर के पुजारी ही बनाते हैं। शक्कर की चासनी बनाकर मटके में ठंडा कर एक दिन पूर्व ही लाडू को तैयार कर लिया जाता है। स्वास्तिक बनाकर यह लाडू भगवान पाŸवनाथ पर चढऩे के बाद मंदिर के माली को दे दिया जाता है।
अकेले नहीं मिलता मोक्ष- अविचल सागर
नया बाजार जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा में मुनिश्री अविचल सागर ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अकेले की दम पर मोक्ष नहीं पा सकता, किसी का सहयोग जरूरी होता है। भगवान पाŸवनाथ को भी 9 जन्मों के बाद जब एक श्रावक का सहयोग मिला तब मोक्ष प्राप्त हो पाया। मुनिश्री ने कहा कि हर तीर्थंकर या किसी महापुरुष का जीवन चरित्र देखो, सहयोग करने वाले के पहुंचने पर ही उनका कल्याण हो सका।