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अफसरों ने बहा दिया 9 करोड़ रुपए का पानी, चाहते तो डायवर्ट कर बांधों में सहेज सकते थे

locationग्वालियरPublished: Sep 05, 2018 07:09:28 pm

जल संसाधन विभाग के अफसरों ने तिघरा बांध के तीन बार गेट खोलकर तीन दिन में करीब ९ करोड़ रुपए का 1269 एमसीएफटी

tighra dam

अफसरों ने बहा दिया 9 करोड़ रुपए का पानी, चाहते तो डायवर्ट कर बांधों में सहेज सकते थे

ग्वालियर. जल संसाधन विभाग के अफसरों ने तिघरा बांध के तीन बार गेट खोलकर तीन दिन में करीब ९ करोड़ रुपए का 1269 एमसीएफटी से अधिक पानी बहा दिया है। यह पानी शहरवासियों की करीब तीन महीने तक प्यास बुझा सकता था। अफसर चाहते तो इस पानी को व्यर्थ बहाने के बजाय सांक पिकअप वियर से डायवर्ट कर करीब 10 बांधों और तालाबों में सहेजा जा सकता था।
अफसरों की यह लापरवाही शहर के साथ घाटीगांव, पनिहार, नयागांव और भितरवार के हिम्मतगढ़ के लिए भारी पड़ सकती है। पत्रिका टीम इसकी पड़ताल के लिए ग्वालियर से करीब 45 किलोमीटर दूर जंगल में घंघोली मोड़ से करीब 1.5 किलोमीटर अंदर सांक पिकअप वियर पर पहुंची, यहां देखा कि तिघरा की ओर आने वाले गेटों को अभी तक बंद नहीं किया गया है, जिससे सिरसा से पेहसारी बांध के बीच बरसने वाला पानी लगातार इन गेटों के जरिए तिघरा की ओर बढ़ रहा है।
उक्त पानी के प्रेशर को खतरा बताकर अफसर अब तक तीन बार तिघरा के गेट खोल चुके हैं, जबकि सांक पिकअप वियर पर उक्त गेटों को बंद कर पानी को दूसरी तरफ नहर में डायवर्ट कर दिया जाता तो हनुमान बांध, वीरपुर बांध, मामा का बांध, रायपुर का बांध, सहित हिम्मतगढ़ के बांध और उससे जुड़े ताल तलैया भी आसानी से भरे जा सकते थे।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि जल संसाधन विभाग के अफ सर और इंजीनियर अब तक सांक पिकअप वियर पर एक्शन करने पहुंचे तक नहीं हैं, जिनकी लापरवाही से अगले साल फिर ग्वालियर सहित, हिम्मतगढ़ के लोगों को पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
9 करोड़ में लाए थे इससे कम पानी
अफसरों ने शहर के हिस्से का 1269 एमसीएफटी से अधिक पानी बहा दिया, जबकि पिछले वर्ष एक हजार एमसीएफटी से अधिक पानी करीब ९ करोड़ रुपए खर्च कर ककेटो और पेहसारी बांध से पंप कर लाया गया था। जो पानी बहाया गया है उससे वर्तमान सप्लाई के हिसाब से 3 माह से अधिक शहर को पानी की पूर्ति की जा सकती थी।

पत्रिका के सवालों पर साधी चुप्पी
? क्यों सांक वियर से पानी डायवर्ट नहीं किया गया।
? क्यों 9 करोड़ का 1269 एमसीएफटी पानी बहा दिया।
? इसका जिम्मेदार कौन है? क्या राजनीतिक दबाव है, या फिर से अगले साल जल संकट के नाम पर करोड़ों रुपए की लागत से पानी को पंप करने की योजना है।
नोट: जब यह सवाल जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री राजेश चतुर्वेदी से किए तो वे चुप्पी साध गए।
जल संसाधन विभाग और पीएचई के लोग हर साल जल संकट के नाम पर करोड़ों रुपए का गोलमाल करते हैं। पानी लिफ्ट कराने के नाम पर जल संसाधन विभाग करोड़ों का टेंडर करता है और पीएचई वाले बोरिंग और टैंकरों के नाम पर करोड़ों रुपए बर्बाद कर देते हैं।
भूपेंद्र सिंह कुशवाह, पूर्व सरपंच वीरपुर
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