scriptsharad purnima इस शरद पूर्णिमा पर 16 कलाओं से पूर्ण चन्द्रमा धरती पर करेगा अमृत की वर्षा, इस समय पूजा करने से मिलेगा लाभ | On this Sharad Purnima, the full moon will rain nectar on the earth w | Patrika News

sharad purnima इस शरद पूर्णिमा पर 16 कलाओं से पूर्ण चन्द्रमा धरती पर करेगा अमृत की वर्षा, इस समय पूजा करने से मिलेगा लाभ

locationग्वालियरPublished: Oct 07, 2022 08:30:52 pm

Submitted by:

Harsh Dubey

शरद पूर्णिमा 9 को: मंदिरों में होंगे कार्यक्रम, जगह-जगह बंटेगा खीर का प्रसाद

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ग्वालियर. हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 12 पूर्णिमा आती हैं, जिसमें शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 9 अक्टूबर को है। इसे शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है, जो आरोग्यता भी प्रदान करता है। इस बार बुधादित्य योग और लक्ष्मी नारायण योग में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करेगा। इस दिन चंद्र देव की पूजा के साथ महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सुख और स्वास्थ्य का लाभ भी मिलेगा। रविवार 9 अक्टूबर को तड़के 3.41 से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी, जो 10 अक्टूबर सुबह 2.25 तक रहेगी।

शाम 5.58 बजे होगा चंद्रोदय

इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 5.58 बजे रहेगा। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विधान है। इसके लिए चंद्रमा को सबसे पहले अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद उसका पूजन कर खीर का भोग लगाएं, चंद्रमा की किरणों का तेज रात 10 से लेकर 12 बजे तक अधिक रहेगा, इसलिए इस बीच खीर के बर्तन को ढक कर खुले में रखना अधिक लाभदायक होता है। सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है

ज्योतिषाचार्य डॉ.सतीश सोनी ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र होने से सुस्थिर योग और वर्धमान नाम के योग के साथ ध्रुव योग बन रहे हैं। साथ ही शरद पूर्णिमा पर्व पर कन्या राशि में त्रिग्रही योग भी रहेगा। इस दिन कन्या राशि में सूर्य, बुध और शुक्र की युति बनेगी। सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग और बुध और शुक्र की युति से लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। इन्हें ज्योतिष शास्त्र में राजयोग कहा जाता है। इसी दिन शनि और गुरु अपनी अपनी राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे।

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रास पूर्णिमा भी कहा जाता है

शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण रास रचाते हैं। इस दिन कोजागरी व्रत का विधान है। महिलाएं सुख-समृद्धि के लिए महालक्ष्मी की 108 दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करती हैं। शरद पूर्णिमा पर शहर के मंदिरों में भी कई कार्यक्रम होंगे और श्रद्धालुओं को खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।

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