शाम 5.58 बजे होगा चंद्रोदय
इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 5.58 बजे रहेगा। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विधान है। इसके लिए चंद्रमा को सबसे पहले अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद उसका पूजन कर खीर का भोग लगाएं, चंद्रमा की किरणों का तेज रात 10 से लेकर 12 बजे तक अधिक रहेगा, इसलिए इस बीच खीर के बर्तन को ढक कर खुले में रखना अधिक लाभदायक होता है। सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है
ज्योतिषाचार्य डॉ.सतीश सोनी ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र होने से सुस्थिर योग और वर्धमान नाम के योग के साथ ध्रुव योग बन रहे हैं। साथ ही शरद पूर्णिमा पर्व पर कन्या राशि में त्रिग्रही योग भी रहेगा। इस दिन कन्या राशि में सूर्य, बुध और शुक्र की युति बनेगी। सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग और बुध और शुक्र की युति से लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। इन्हें ज्योतिष शास्त्र में राजयोग कहा जाता है। इसी दिन शनि और गुरु अपनी अपनी राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे।
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रास पूर्णिमा भी कहा जाता है
शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण रास रचाते हैं। इस दिन कोजागरी व्रत का विधान है। महिलाएं सुख-समृद्धि के लिए महालक्ष्मी की 108 दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करती हैं। शरद पूर्णिमा पर शहर के मंदिरों में भी कई कार्यक्रम होंगे और श्रद्धालुओं को खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।