कलक्टर चौधरी ने ईकोग्रीन के अफसरों से पूछा कि आपकी कंपनी कहां की है, इस पर प्रतिनिधियों ने बताया कि चाइना बेस्ड है। इस पर कलक्टर ने पूछा कि आप कहां-कहां काम कर रहे हैं और कितने वर्षों से काम कर रहे हैं। प्रतिनिधियों ने बताया कि कंपनी दो वर्ष से गुरुग्राम, लखनऊ आदि शहरों में भी काम कर रही है। इस पर कलक्टर ने कहा कि कंपनी का अनुभव दो साल से ज्यादा नहीं है, आप दूसरी जगह कैसा काम कर रहे हैं, यह देखना बहुत जरूरी है। अपर आयुक्त भार्गव को निर्देश दिए कि वह इन शहरों के आयुक्तों से बात कर पता लगाएं कि कंपनी वहां कैसा काम कर रही है। अगर प्रोगे्रस रिपोर्ट सही नहीं मिलेगी तो कंपनी के बारे में विचार किया जाएगा। उन्होंने कंपनी प्रतिनिधियों से पूछा कि सभी वार्डों में कचरा कलेक्शन का काम होना था तो फिर 38 वार्डों में ही काम क्यों कर रहे हो, वाहन क्यों नहीं बढ़ा रहे, आपके कारण शहर की रैंकिंग पिछड़ती है। आप काम करोगे तो ही टिक पाओगे। 5 हजार में से 1200 अंक आपके ही हैं। शहर तो आपके कारण ही पिछड़ रहा है।
छोटी-छोटी जगहों पर बेहतर प्रजेंटशन बनाए गए हैं, आपके यहां कोई प्रजेंटेशन ही नहीं हैं। आपके यहां कोई प्रभारी ही नहीं हैं, इसके लिए तो अपर आयुक्त या आयुक्त को लीड करना चाहिए। कलक्टर ने अपर आयुक्त को स्वच्छता मिशन का प्रभारी बनाने के निर्देश आयुक्त को दिए।
कलक्टर ने कहा कि यह बताएं कि भोपाल, इंदौर से हम किन-किन ङ्क्षबदुओं पर पीछे रहे। अब काम उन बिंदुओं पर करो जिन पर तत्काल पूरा हो सके। जन जाग्रति के लिए कार्य करें-
स्वच्छता के प्रति लोगों में जन जाग्रति लाने निरंतर कार्य किए जाएं। इसमें स्कूली छात्र-छात्राओं को जोड़ा जाए। मैरिज गार्डनों, होटलों और बड़े संस्थानों से कचरा गीला एवं सूखा अलग-अलग एकत्र हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को कचरे का निष्पादन करने के भी निर्देश दिए जाएं। पब्लिक टॉयलेट के आसपास बोर्ड लगाए जाएं, सभी टॉयलेट प्रतिदिन साफ हों। पॉलीथिन के लिए चलाएं अभियान-
पॉलिथिन का उपयोग प्रतिबंधित कर देने के आदेश पर्याप्त नहीं हैं। इसका उपयोग न हो, इसके लिए निगम व्यापक अभियान चलाकर कार्रवाई करे। जिन प्रतिष्ठानों पर पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है, उन पर जब्ती के साथ दण्ड लगाने की कार्रवाई करें। अभियान के प्रथम चरण में बड़े प्रतिष्ठानों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए।