न्यायालय के आदेश पर सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाए गए मकानों की सूची जिला प्रशासन द्वारा पिछली सुनवाई पर न्यायालय में प्रस्तुत की गई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वे क्रमांक 605 एवं 608 सरकारी रास्ता है, लेकिन इस जमीन पर 39 मकान बने हुए हैं। इन मकानों में रहने वाले लोगों को बेदखली आदेश दिए जा चुके हैं। रिपोर्ट में बताया गया था कि इन लोगों ने अभी तक अतिक्रमण नहीं हटाए हैं। इस पर नगर निगम आयुक्त और एसपी को पत्र भेजकर कहा गया था कि जिन 39 लोगों ने अतिक्रमण कर मकान बनाए हैं, उन्हें सुनवाई का मौका दिया जा चुका है, इसलिए अब इन्हें बेदखल किया जाए। इस जमीन का जिला प्रशासन द्वारा 28 अक्टूबर 2017 को सीमांकन कराया गया था।
उच्च न्यायालय ने डीआरडीई के मामले में जिला प्रशासन से प्रतिबंधित क्षेत्र का साइंटिफिक मेजरमेंट सर्वे कराएं। सर्वे रिपोर्ट निगम को दें जिससे विधि अनुसार मामले में निगम कार्यवाही की जा सकेगी। न्यायालय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के पालन में जिन लोगों ने अभ्यावेदन दिए हैं उनके अभ्यावेदन का निराकरण कर आगे की कार्रवाई करें। हाईकोर्ट ने राजेश भदौरिया द्वारा प्रस्तुत याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश के साथ ही प्रकरण को अगले माह के तीसरे सप्ताह सुनवाई के लिए रखा है।
निगम के अधिवक्ता दीपक खोत द्वारा प्रस्तुत प्रतिपालन रिपोर्ट में कहा गया कि न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के पालन में निगम द्वारा बिना अनुमति के बनाए गए भवनों को लेकर कार्रवाई की गई है। इससे पहले निगम द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में अनुमति के बनें भवन, बिना अनुमति के भवन तथा शासकीय भवनों के संबंध में सूची प्रस्तुत की जा चुकी है। निगम द्वारा जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए थे उनके जवाब निगम को प्राप्त हो गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि बिना अनुमति के बने जिन 51 भवनों के स्वामियों को जारी नोटिस के जवाब में सात भवन स्वामियों द्वारा निर्माण की अनुमति के दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। इसमें किसी ने टीएनसीपी व अन्य से ली गई अनुमति प्रस्तुत की है। निगम ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि सभी के आवेदनों का निराकरण कर दिया गया है। निगम ने यह पाया है कि इन लोगों ने बिना अनुमति के निर्माण किए हैं।