scriptएग्जाम के दो दिन पहले हुआ था हमारा किडनैप, सुबह खिलाई गई थी मिर्च और पराठे | Our kidnap took place two days before the exam, was fed chilli and par | Patrika News

एग्जाम के दो दिन पहले हुआ था हमारा किडनैप, सुबह खिलाई गई थी मिर्च और पराठे

locationग्वालियरPublished: Oct 19, 2019 11:16:47 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

एमआइटीएस में शामिल हुए 1994 के 70 एल्युमिनाई

एग्जाम के दो दिन पहले हुआ था हमारा किडनैप, सुबह खिलाई गई थी मिर्च और पराठे

एग्जाम के दो दिन पहले हुआ था हमारा किडनैप, सुबह खिलाई गई थी मिर्च और पराठे

हमारा दो दिन बाद एग्जाम था। स्ट्रेस कम करने के लिए मैं (दीपक) और जीतेन्द्र रायरू गए। घूमने-फिरने, मौज मस्ती के बाद वहां कुछ लोग परेशान दिखे, जिनकी जीप स्टार्ट नहीं हो रही थी। हम हेल्प के लिए आगे आए, तो उन्होंने बंदूक की नोक पर हमारा किडनैप कर लिया। सभी नशे में धुत थे। वे हमें जीप से गांव खांडोली ले गए। वहां उन्होंने हमें मिर्च और पराठे खिलाए। एक दिन रखने के बाद वे हमें शहर छोड़ गए। हम इतने डरे हुए थे कि पेपर के लिए सोचना भी मुश्किल था। फिर भी हमने एग्जाम दिया। यह घटनाक्रम हमें हमेशा याद आता है और भी हम सहम जाते हैं। यह कहना था यूएसए में जॉब कर रहे दीपक गुप्ता का, जो एमआइटीएस के 1994 बैच से पासआउट हैं।

एल्युमिनाई ने टीचर्स का किया सम्मान
एमआइटीएस की एल्युमिनी मीट शनिवार को कैंपस में आयोजित हुई। इस अवसर पर अतिथि के रूप में आइएएस प्रशांत मेहता, सिंधिया एजुकेशन सोसायटी के सचिव रमेश अग्रवाल, संस्थान के डायरेक्टर आरके पंडित उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सभी एल्युमिनाई ने अपने टीचर्स को शॉल, श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। साथ ही ओल्ड स्टूडेंट्स ने अपने एक्सपीरियंस भी शेयर किए। इस दौरान उन्होंने पूरा कैंपस घूमा और अपनी यादें शेयर कीं।

बॉल से हुआ था फ्रेक्चर, अंगुली आज भी टेढ़ी
एक बार हम लोग क्रिकेट मैच खेल रहे थे। उस समय बॉल से मेरी उंगली में फ्रेक्चर हो गया। डॉक्टर ने प्लास्टर चढ़ाने के लिए कहा, लेकिन तीन दिन बाद एग्जाम थे। इसलिए मैंने एवाइड कर दिया। प्लास्टर न चढ़वाने का नतीजा ये रहा कि मेरी एक उंगली आज भी टेढ़ी है।
मनीष जैन, यूएसए

गल्र्स को दे देता था अपनी बुक्स, हुआ फेल
मेरे घर के पास ही गल्र्स हॉस्टल था। उसमें 4 गल्र्स मेरी क्लासमेट थीं। मेरे पापा एमआइटीएस में प्रोफेसर थे, इसलिए मुझे लाइब्रेरी से बुक अधिक मिल जाती थीं। इसलिए मैं गल्र्स की प्यार भरी मुस्कान देखकर उन्हें बुक दे दिया करता था। इसका परिणाम यह रहा कि मैं सेमेस्टर फेल हो गया।
नीरज जैन, न्यू जर्सी

सीनयर्स ने स्टेज पर पहुंचकर बंद करा दिया था गाना
हमारी फ्रेशर्स पार्टी थी। हम लोगों को भी स्टेज में जाने का मौका मिला। मेरा दोस्त अरुण को गाने का चांस मिला। उसकी आवाज इतनी अच्छी थी कि सीनियर्स को ज्वैलस हुई और उन्होंने हूटिंग कर गाना बंद करा दिया, क्योंकि उसे गल्र्स लाइक करने लग जाती। तब हम सभी फ्रेशर्स ने उनका साथ दिया।
जीतेन्द्र माथुर, ग्वालियर

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