चार से 25 लाख का हुआ सफाई ठेका
पिछले वर्ष रेलवे स्टेशन की रैंकिंग बहुत खराब आने पर रेलवे अधिकारियों ने ग्वालियर स्टेशन का सफाई का ठेका बदल दिया। पहले इस पर 4 लाख रुपए खर्च होते थे, वहीं अब हर महीने 25 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं, इसके बावजूद स्थिति में उतना सुधार नहीं है, जितनी उम्मीद की जा रही थी।
रेलवे स्टेशन पर काफी दिनों से सीवर की स्थिति काफी खराब है। इस पर कई बार रेलवे अधिकारियों को फटकार भी लगी है, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं है। कई बार सीवर का पानी प्लेटफॉर्म-1 के बाहर सर्कुलेटिंग एरिया तक आ जाता है। वहीं रेलवे ट्रैक पर भी गंदगी भी मिल जाती है। इसकी कई बार यात्रियों ने भी शिकायतें की हैं।
इस तरह तैयार की गई रिपोर्ट
– स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो सदस्यीय टीम ने दो दिन तक स्टेशन का जायजा लिया था। इसमें यात्रियों का फीडबैक सबसे महत्वपूर्ण रहा।
– स्टेशन मैनेजर का इंटरव्यू भी लिया गया।
– निर्धारित स्थानों का अवलोकन और मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन किया गया।
– प्रमाणिकता के लिए स्टेशन की सफाई संबंधी डेटा कलेक्शन व तस्वीरें जुटाई गई।
– ग्रीन कवर स्टेशन के लिहाज से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, लिक्विड वाटर मैनेजमेंट, एनर्जी मैनेजमेंट, आइएसओ एंड ग्रीन सर्टिफिकेशन देखा गया।
इन क्षेत्रों को किया शामिल
– पार्किंग
– मुख्य प्रवेश द्वार
– प्लेटफॉर्म
– यात्री प्रतीक्षालय
(टॉयलेट और खुले क्षेत्र में सफाई के अलावा वेंडर एरिया, पेयजल, फुटओवर ब्रिज और ट्रैक की स्वच्छता पर भी फोकस किया गया)
टीम ने यात्रियों से पूछे थे यह सवाल
– क्या आपको पार्किंग एरिया में सफाई मिली
– क्या मुख्य प्रवेश द्वार पर सफाई मिली
– क्या प्लेटफॉर्म पर सफाई मिली
– क्या स्टेशन पर आपको डस्टबिन दिखाई दिए
– स्टेशन के टॉयलेट कितने साफ मिले
– स्टेशन पर ठहरा या जमा पानी देखा
– प्रतीक्षालय में कितनी सफाई मिली
– क्या आप जानते हैं स्टेशन पर गंदगी फैलाना जुर्म है
– क्या स्टेशन पर चूहे, कॉकरोच या मक्खियां दिखी
– क्या स्टेशन पर किसी तरह की बदबू आ रही थी
स्वच्छता रिपोर्ट में नॉर्थ सेंट्रल रेलवे का क्षेत्र रेड मार्क किया गया है। इसका मतलब है कि स्वच्छता के पैमाने पर हम फिसड्डी साबित हुए। जोनल रैंकिंग में इस बार 631.431 अंकों के साथ 16वें स्थान पर है, यह रैंकिंग वर्ष 2018 की तरह 16 ही बनी हुई है, इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है।