युवा चित्रकार हेमंत रोजिया की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। बचपन से ही उन्हें पेंटिंग का शौक था, घर की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण कई समस्याएं आईं, लेकिन उन्होंने अपने शौक को छोड़ा नहीं और पेंटिंग से स्नातक किया। लेकिन पेंटिंग को व्यवसाय नहीं बनाया, वह कला के रूप में ही इसे आगे बढ़ा रहे हैं। हेमंत के अनुसार उन्होंने जो परेशानी झेली हैं, उनसे ही उन्हें सीख मिली है कि वह ऐसे बच्चों जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें पेंटिंग सिखाएं। वह पेंटिंग सिखाने के लिए क्लास लगाते हैंं। अगर कोई ऐसा बच्चा पेंटिंग सीखना चाहता है तो वह उसे शीट और अन्य सामग्री भी उपलब्ध करवा देते हैं। उनका मानना है कि कलाकार को हमेशा बढ़ावा देना चाहिए।
युवा कलाकार हेमंत रोजिया को ग्वालियर एवं दूसरे शहरों में विभिन्न अवार्डों से सम्मानित किया गया है। पैर से दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने कभी शारीरिक अक्षमता को अपने जोश और जुनून पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने बेटी बचाओ अभियान में पेंटिंग के माध्यम से बेटी बचाने का संदेश भी दिया है। इसके अलावा वह सामाजिक सरोकार से जुड़े मद्दों पर पेंटिंग बना चुके हैं। वह कहते हैं कि पेंटिंग जीवन को जीने का एक अलग नजरिया देती है। जिस तरह से अन्य कलाएं हैं वैसे ही पेंटिंग हमारे विचारों को चित्र के जरिए प्रदर्शित करती है।
हेमंत रोजिया कुछ अलग करने की चाहत रखते हैं। वह पेंटिंग में नए-नए प्रयोग करते रहते हैं। वह कहते हैं कि प्रयोग करना किसी भी कला के लिए अच्छा होता है। यही कारण है कि वह साड़ी और टी शर्ट पर भी लोगों का पोट्रेट बना देते हैं। वह कहते हैं कि शहर में अभी तक यह प्रयोग किसी दूसरे कलाकार ने नहीं किया है। वह इसे और आगे ले जाना चाहते हैं और इसके लिए काम भी कर रहे हैं।
शासन को करना चाहिए मदद : वह कहते हैं कलाकारों के सामने आर्थिक संकट बहुत बड़ी समस्या है। शासन को कलाकारों को इस समस्या से निकालने में मदद करना चाहिए। क्योंकि हर कलाकार इतना बड़ा नहीं होता कि वह एग्जीबिशन लगा सके, इसलिए शासन को स्थानीय स्तर पर दो से तीन महीने में एक एग्जीबिशन लगवाना चाहिए, जिसमें सभी छोटे कलाकारों को भी अपनी पेंटिंग प्रदर्शित करने की अनुमति देना चाहिए। इससे कलाकारों को बढ़ावा मिलेगा, इसके साथ ही नए कलाकारों को शासन को मौका देना चाहिए, जिससे वह अपनी कला को निखार सकें।