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पापा-मम्मी के मोबाइल पर लग रहीं बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस

locationग्वालियरPublished: Jun 02, 2020 01:00:17 am

Submitted by:

Harish kushwah

स्कूल्स ने स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं। बच्चे घर पर अपने पापा-मम्मी के मोबाइल, डेस्कटॉप या लैपटॉप पर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इस ऑनलाइन प्रोसेस ने पैरेंट्स की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे मोबाइल से अपने ऑफिस का काम निपटाएं, शॉप पर लेकर जाएं या फिर बच्चों को दें।

पापा-मम्मी के मोबाइल पर लग रहीं बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस

पापा-मम्मी के मोबाइल पर लग रहीं बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस

ग्वालियर. स्कूल्स ने स्टूडेंट्स के लिए ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं। बच्चे घर पर अपने पापा-मम्मी के मोबाइल, डेस्कटॉप या लैपटॉप पर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इस ऑनलाइन प्रोसेस ने पैरेंट्स की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे मोबाइल से अपने ऑफिस का काम निपटाएं, शॉप पर लेकर जाएं या फिर बच्चों को दें। उस पर बार-बार स्कूल से आ रहे फीस के मैसेज ने परेशान कर दिया है। लॉकडाउन के कारण हर परिवार इस समय आर्थिक संकट में जूझ रहा है। इस पर ऑनलाइन क्लासेस का प्रेशर भी बना हुआ है।
अधिकतर फैमिली सिचुएशन हैंडल करने की स्थिति में नहीं

अभी तक पैरेंट्स को यह लग रहा था कि कुछ समय बाद स्कूल्स खुलेंगे और बच्चों को ऑनलाइन क्लास से छुटकारा मिलेगा, लेकिन स्कूल्स प्रबंधन का कहना है कि हम ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लास दोनों चलाएंगे। इस तरह में कई परिवार ऐसे हैं, जिनके सामने वेब कैमरा, एंड्रॉयड मोबाइल, लैपटॉप व डेस्कटॉप की फैसिलिटी एक्स्ट्रा बढ़ाने की दिक्कत खड़ी हो गई है। वे फैमिली इस सिचुएशन को हैंडल करने की स्थिति में नही हैं।
समर वेकेशन पर चल रहीं स्कूल्स की ऑनलाइन क्लासेस

मेरा बेटा यश क्लास 10वीं और बेटी आकृति 12वीं में है। इन दिनों उनकी ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं। उनके टेस्ट भी ऑनलाइन हो रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि उनकी जूम क्लास क्लैश होती हैं या फिर मुझे कहीं बाहर जाना होता है, तो फिर मैं अपनी सासू मां का मोबाइल उन्हें लेकर देती हूं। वैसे ये समय समर वेकेशन का है, लेकिन इन दिनों स्कूल्स ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं।
कीर्ति सिंघल, हाउसवाइफ

ऑनलाइन क्लास के नाम पर फीस के मैसेज ने बढ़ा दी चिंता

मेरा बेटा अचिंत 8वीं और बेटी तनुष्का 10वीं क्लास में है। दो महीने मेरी शॉप बंद रही। उस दौरान स्कूल्स की फीस के मैसेज ने परेशान कर दिया। इन दिनों ऑनलाइन क्लास चल रही हैं। मां के मोबाइल से बेटा पढ़ लेता है, लेकिन बेटी के लिए मुझे अपना मोबाइल घर पर छोड़कर आना पड़ता है। इससे मेरा काम प्रभावित होता है। स्कूल्स को भी लॉकडाउन में हमारी प्रॉब्लम को समझना चाहिए।
लक्ष्मी नारायण, बिजनेसमैन

बेटी के पढ़ाई के लिए शॉप से मंगाती हूं पापा का मोबाइल

बेटा क्रिश 10वीं में और बेटी हर्षिता 12वीं क्लास में है। बच्चों को पूरे समय के लिए मोबाइल देना पड़ता है।जब दोनों की क्लास एक ही टाइम पर क्लैश होती है, तो वे लड़ते हैं। इससे बचने के लिए शॉप से पापा का मोबाइल मंगाती हूं। ऑनलाइन क्लास की वजह से मैं भी अपना काम नहीं कर पाती। नेट पैक बहुत महंगा पड़ जाता है। कई बार बेटा क्लास लेते-लेते गेम खेलने लग जाता है।
पूर्णिमा अग्रवाल, हाउसवाइफ

लंबी सिटिंग से बच्चों की आंखों पर पड़ रहा असर

मेरा बेटा मेहुल क्लास 10वीं में है। ऑनलाइन क्लास से बच्चे इंगेज तो हो जाते हैं, लेकिन वे ठीक तरीके से समझ नहीं पा रहे। लैपटॉप पर मुझे उनके साथ बैठना पड़ता है। 45-45 मिनट की यदि तीन क्लास हो गई, तो उनकी सिटिंग लम्बी हो जाती है। ऐसे मेें उनके आंखों पर भी प्रभाव पड़ता है। स्कूल्स को कोविड-19 के कारण दो माह का बच्चों को ब्रेक देना चाहिए।
रेखा अग्रवाल, समाजसेवी

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