लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा वर्ष २०१७-१८ में पैरामिलिट्री फोर्स योजना शुरू की गई थी। योजना को प्रदेश के ग्वालियर और झाबुआ जिले में शुरू किया गया था। इसके जरिए छात्राओं को फोर्स की टे्रनिंग दी जानी थी, जिससे उन्हें आगे लाभ मिलता। इसके लिए ग्वालियर-चंबल संभाग से ५० छात्राएं कक्षा ११वीं और १२वीं की चयनित की गई थीं। इन छात्राओं को पदमा स्कूल के हॉस्टल में रखा गया था। यहां १२वीं की छात्राओं को ट्रेंड किया गया और फोर्स की कोचिंग कराई गई।
छात्राएं हुईं निराश
शासन द्वारा एक साल पायलेट प्रोजेक्ट संचालित किए जाने के बाद योजना को बंद किए जाने से छात्राओं में निराशा है। इस योजना में वर्ष २०१७-१८ में ११ छात्राएं १२वीं कक्षा पास आउट कर चुकी हैं। इन छात्राओं को योजना का लाभ देने के लिए शासन द्वारा अब तक कोई पहल नहीं की गई है, न ही उन्हें फोर्स के लिए ट्रेंड किए जाने का प्रमाण पत्र ही दिया गया है।
शासन द्वारा एक साल पायलेट प्रोजेक्ट संचालित किए जाने के बाद योजना को बंद किए जाने से छात्राओं में निराशा है। इस योजना में वर्ष २०१७-१८ में ११ छात्राएं १२वीं कक्षा पास आउट कर चुकी हैं। इन छात्राओं को योजना का लाभ देने के लिए शासन द्वारा अब तक कोई पहल नहीं की गई है, न ही उन्हें फोर्स के लिए ट्रेंड किए जाने का प्रमाण पत्र ही दिया गया है।
लाखों खर्च के बाद भी नतीजा सिफर
जिले में पैरामिलिट्री फोर्स कोर्स शुरू कराने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए। छात्राओं के रहने से लेकर खान-पान एवं पढ़ाई पर शासन स्तर पर खर्च किया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
जिले में पैरामिलिट्री फोर्स कोर्स शुरू कराने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए। छात्राओं के रहने से लेकर खान-पान एवं पढ़ाई पर शासन स्तर पर खर्च किया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
इस बार पैरामिलिट्री फोर्स में नए प्रवेश नहीं दिए गए हैं। जो छात्राएं १२वीं पास कर चुकी हैं, वे भी प्रमाण-पत्र के लिए आ रही हैं। शासन की ओर से पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में यह प्रोजेक्ट चलाया जा रहा था।
अशोक श्रीवास्तव, प्राचार्य, पदमा हायर सेकंडरी स्कूल