अगर मरीज के साथ चार या चार से अधिक अटेंडर नहीं हैं, तो जोखिम भरा हो सकता है। केआरएच लिफ्ट की कॉल खराब है, इस कारण वह दुरुस्त नहीं की जा सकी है, ऐसा कंपनी के इंजीनियर का कहना है, जबकि जेएएच की लिफ्ट गुरुवार देर शाम दुरुस्त हो गई।
जेएएच में ग्वालियर-चंबल संभाग सहित यूपी व राजस्थान के मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। जेएएच के पुराने भवन की दूसरी मंजिल पर ऑपरेशन थियेटर, सर्जरी वार्ड व तीसरी मंजिल पर ऑर्थोपेडिक वार्ड है। ऑर्थोपेडिक वार्ड में भर्ती मरीजों को ज्यादा परेशानी हो रही है।
मरीज की हालत गंभीर होने पर परिजन स्ट्रेचर सहित कंधों पर उठाकर लाते-ले जाते हैं। एेसा ही कुछ कमलाराजा अस्पताल में महिला मरीजों को लाने-ले जाने के लिए परिजनों को करना पड़ रहा है।केआरएच में रैंप नहीं होने के कारण महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बार-बार खराब होती हैं लिफ्ट
केआरएच में वर्ष 2000 में लगी लिफ्ट महीने में 15-20 बार खराब हो जाती है। जेएएच की 45 साल पुरानी लिफ्ट भी आए दिन खराब होती रहती है। अधिकतम 15 साल तक सेवा देने वाली दोनों लिफ्टों को बदलने का प्रस्ताव प्रबंधन भेज चुका है। लिफ्टों का इस्तेमाल रोजाना लगभग 550 मरीज करते हैं, इनमें 300 महिला मरीज शामिल हैं।
मेंटेनेंस पर हर साल 2 लाख से ज्यादा खर्च
लिफ्ट के मेंटेनेंस पर हर साल 2 लाख रुपए से ज्यादा खर्च होते हैं। इसका ठेका ओटिस कंपनी के पास है। मेंटेनेंस पर अब तक करीब 20 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं।
फैक्ट फाइल
जेएएच की लिफ्ट: 45 साल पुरानी
केआरएच की लिफ्ट: 18 साल पुरानी
दोनों लिफ्ट का इस्तेमाल: रोजाना 550 से अधिक मरीज करते हैं
केआरएच की लिफ्ट खराब होने से प्रभावित: करीब 300 महिलाएं
मेंटेनेंस पर खर्च: हर साल 2 लाख रुपए