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पत्रिका अमृतं जलम् अभियान : खेड़ापति मंदिर के समीप सैकड़ों साल पुरानी सुंदर बावड़ी को संवारने की जिद

locationग्वालियरPublished: May 24, 2019 05:17:42 pm

Submitted by:

Gaurav Sen

पत्रिका अमृतं जलम् अभियान : खेड़ापति मंदिर के समीप सैकड़ों साल पुरानी सुंदर बावड़ी को संवारने की जिद

patrika amritam jalam abhaiyan in gwalior

पत्रिका अमृतं जलम् अभियान : खेड़ापति मंदिर के समीप सैकड़ों साल पुरानी सुंदर बावड़ी को संवारने की जिद

ग्वालियर खेड़ापति मंदिर के समीप स्थित बावड़ी को संवारने की जिद शहर की है। यह बावड़ी सैकड़ों साल पुरानी है, जो बहुत ही खूबसूरत है। यदि यह पुनर्जीवित होती है, तो इससे आसपास के एरिए का वाटर लेवल बढ़ेगा। सूख चुकी बोरिंग एक बार फिर से रिचार्ज हो सकेंगी। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पत्रिका ने इस बावड़ी पर अमृतं जलम् अभियान की शुरुआत की है, जिससे शहर की विभिन्न संस्थाएं एवं संगठन जुड़ रहे हैं। इसी क्रम में यूथ रियल फ्रीडम युवक मंडल की टीम ने पार्टिसिपेट किया और मलबा निकाला। आज रोट्रेक्ट क्लब करेगा श्रमदान : बावड़ी से गुरुवार को भी नगर निगम की टीम ने लगभग एक ट्रैक्टर मलबा निकालकर ऊपर रखा, जिसे शुक्रवार को रोट्रेक्ट क्लब की टीम बाहर फेकेगी। श्रमदान की शुरुआत सुबह 6 बजे से होगी, जो 7.30 बजे तक चलेगा।

अभियान से जुड़ा
आज मैं श्रमदान कर पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान से जुड़ा। आगे भी मैं अपनी टीम के साथ बावड़ी सहेजने के लिए श्रमदान करने जरूर आता रहूंगा।
अधिराज बंसल

वाकई अद्भुत है
मैंने भी अपनी टीम के साथ बावड़ी देखी। वाकई ये अद्भुत है। सैकड़ों साल पहले भी इस तरह की प्लानिंग होती थी, यह हमारे लिए रिसर्च का विषय है।
मोना सिंह यादव


हेरिटज लुक में
यह बावड़ी हेरिटेज लुक में है। इसके रख-रखाव के लिए पुरातत्व विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। यह स्टूडेंट्स के लिए भी रिसर्च का विषय है।
ललिता शर्मा

करने होंगे प्रयास
हमें आने वाला कल संवारना है, तो आज को बचाना होगा। यानि शहर में हो रही पानी की किल्लत को दूर करना होगा। इसके लिए प्रयास करने होंगे।
आयुष गर्ग

वाकई अद्भुत है
मैंने भी अपनी टीम के साथ बावड़ी देखी। वाकई ये अद्भुत है।
सैकड़ों साल पहले भी इस तरह की प्लानिंग होती थी, यह हमारे लिए रिसर्च का विषय है।
मोना सिंह यादव

लें जिम्मेदारी
शहर के वाटर रिसोर्सेज को एक बार फिर से रिचार्ज करने की आवश्यकता है। इसके लिए जरूरी है कि पत्रिका की तरह ही अन्य संस्थाएं भी जिम्मेदारी लें।
सत्यम गर्ग

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