इस तरह हुआ था काम
– पंचायतों में खेल मैदान बनाने के लिए मनरेगा के अंतर्गत राशि जारी हुई थी।
– तत्कालीन समय में जिले की 399 (वर्तमान में 256) पंचायतों में खेल मैदान बनाने का काम 2009-10 में शुरू किया गया था।
– इसके बाद 2012 तक इन मैदानों को बनाए जाने की पुष्टि भी हुई।
– मैदानों का समतलीकरण और खेलने वालों के लिए अन्य सुविधाएं विकसित करने पर हर पंचायत में लगभग एक लाख रुपए खर्च किए गए थे।
– ग्रामीण अंचल के खिलाडिय़ों की प्रतिभा को निखारने के लिए खेल मैदान बनाने की तैयारी की गई थी।
– प्रत्येक ग्राम पंचायत में पहले से मौजूद मैदान, गौचर या फिर स्कूलों के आसपास की खुली जगह को खेल मैदान के रूप में विकसित करने की योजना थी।
– इस योजना के अंतर्गत मनरेगा कन्वर्जेंस से काम कराए जाने के लिए स्वीकृति दी गई थी।
– मैदान तैयार होने के बाद विकासखंड स्तर पर नियुक्त प्रशिक्षकों को चरण बद्ध तरीके से ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए निर्देश दिया गया था।
– पंचायत, विकासखंड और जिला स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन कर खिलाडिय़ों को प्लेटफार्म भी प्रदान किया जाना था।
– खेल किट भी प्रदान किए जाने की योजना थी, खेल एवं युवक कल्याण विभाग द्वारा पंचायतों को किट प्रदान होना थीं।
– खिलाडिय़ों के लिए बनाए मैदान 90 फीसदी जगहों से गायब हो चुके हैं।
– शहर से लगी 32 पंचायतों के नगर निकाय में विलय के बाद मैदानों के लिए चिह्नित की गई जगहों पर पूरी तरह से अतिक्रमण हो चुका है।
– मैदानों के लिए आई राशि को तत्कालीन सरपंच, सचिव, मूल्यांकन करने वाले अधिकारियों ने मिलबांटकर हजम कर लिया।
– प्रत्येक पंचायत को दी गई एक लाख रुपए से अधिक की खेल सामग्री भी गायब हो चुकी है।
जिन पंचायतों में खेल मैदान पहले बन चुके हैं, उनका परीक्षण कराया जाएगा। जहां मेंटेनेंस की जरूरत है, वहां मेंटेनेंस कराया जाएगा। पंचायतों से रिपोर्ट मांगी गई है। अगले कुछ दिन में पूरी रिपोर्ट आ जाएगी। इसके बाद जहां जरूरत होगी, वहां नए मैदान बनाए जाएंगे और जहां पुराने मैदान सही करने लायक होंगे उनको सही किया जाएगा। जिन मैदानों पर अतिक्रमण है, उसको हटाया जाएगा।
किशोर कान्याल, सीईओ-जिला पंचायत