scriptपत्रिका एक्सपोज… ऑपरेटर्स की मनमानी पंजीयन की परेशानी | Patrika Expos ... The trouble of arbitrary registration of operators | Patrika News

पत्रिका एक्सपोज… ऑपरेटर्स की मनमानी पंजीयन की परेशानी

locationग्वालियरPublished: Feb 27, 2021 05:44:05 pm

किसान एप पर पंजीयन में आ रही परेशानी और विंडो पर सोसायटी के ऑपरेटरों द्वारा मनमाना व्यवहार किए जाने से जिले के एक लाख से अधिक किसान हर दिन परेशान…

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पत्रिका एक्सपोज… ऑपरेटर्स की मनमानी पंजीयन की परेशानी

ग्वालियर. किसान एप पर पंजीयन में आ रही परेशानी और विंडो पर सोसायटी के ऑपरेटरों द्वारा मनमाना व्यवहार किए जाने से जिले के एक लाख से अधिक किसान हर दिन परेशान हो रहे हैं। तहसील में पहुंचने पर अधिकारी सही मार्गदर्शन नहीं कर रहे और केंद्रों पर पहुंचने पर किसानों को सचिव और ऑपरेटर वापस कर रहे हैं। स्थिति यह है कि पिछले वर्ष जहां इस सीजन में 27729 पंजीयन हुए थे, वहीं इस बार अभी तक पंजीयन का आंकड़ा 3 हजार को पार नहीं कर पाया है। 25 जनवरी से शुरू हुई पंजीयन की प्रक्रिया के अंतर्गत 20 फरवरी तक किसानों को पंजीयन कराने थे, लेकिन केंद्रों पर आ रहीं परेशानियों के बाद अब अंतिम तिथि बढ़ाकर 25 फरवरी कर दी गई है। इससे किसानों को तो थोड़ी राहत मिली है, लेकिन सोसायटी पर सही व्यवहार न होने से समस्या बनी हुई है।
दरअसल, सरकार ने इस बार किसानों के आधार को खसरे से अटैच करने के बाद ही किसान एप पर पंजीयन की शर्त रखी है। तकनीकी रूप से सक्षम न होने पर जिले के अधिकतर किसानों के आधार अभी तक लिंक नहीं हो सके हैं। एप पर पंजीयन के लिए इस सबसे बड़ी तकनीकी बाधा को सोसायटी स्तर पर ऑपरेटर के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है या फिर तहसील कार्यालय में पहुंचकर समाधान हो सकता है। किसान जब इस समस्या का समाधान कराने के लिए ऑपरेटरों के पास पहुंच रहे हैं तो अधिकतर जगहों पर सोसायटी का किसान न होने की बात कहकर वापस किया जा रहा है।

इन परेशानियों का नहीं मिल रहा समाधान
– आधार कार्ड खसरे से लिंक नहीं हैं तो किसान एप पर पंजीयन नहीं हो पा रहा है।
– साख सहकारी समिति के प्रबंधक व सेल्समैन ने हड़ताल के नाम पर काम बंद कर दिया था।
– अब ऑपरेटर भी तीन से चार गांव के किसानों के ही पंजीयन कर रहे हैं।
– सोसायटी से संबद्ध दूर दराज के किसान अगर पंजीयन के लिए पहुंच रहे हैं तो उनको बैरंग लौटाया जा रहा है।
– तहसील में आधार से लिंक कराने के लिए पहुंचने पर पटवारी व्यवस्था की जानकारी न होने का हवाला देकर किसानों को लौटा रहे हैं।
– सिकमी पंजीयन पांच हैक्टेयर तक ही मान्य है, इसके लिए भी बटाईदार और भू-स्वामी के बीच शपथपत्र पर करार जरूरी है। इसके साथ ही दोनों का आधार भी लिंक होना जरूरी है।

इस तरह की भाषा का हो रहा इस्तेमाल
पिपरौआ साख सहकारी समिति पर पदस्थ ऑपरेटर सोनू से क्षेत्र के ही एक किसान ने पंजीयन कराने को लेकर बात की तो उसने सीधे तौर पर कह दिया कि यहां सिर्फ चार गांवों के पंजीयन होंगे। इसके बाद जब किसान ने कहा कि तमाम फसल खड़ी है, गेहं का पंजीयन न हुआ तो हम बर्बाद हो जाएंगे। इस पर ऑपरेटर ने कहा कि जाओ मेरी शिकायत करना हो तो कर दो। अपने यहां तो मैं सिर्फ पिपरौआ के ही पंजीयन कर रहा हूं और किसी जगह के पंजीयन नहीं किए जा रहे हैं। यहां सिर्फ पिपरौआ, झांकरी, ककरधा सहित एक अन्य गांव के पंजीयन कर रहे हैं। आप तो शिकायत करो, कोई दिक्कत नहीं है। मेरे पास 150 फॉर्म रखे हैं, मैं कर ही नहीं पाऊंगा।

यह कहना है ऑपरेटर का
शुरू से अभी तक साइट नहीं चली है। 300 फॉर्म रखे हैं, इनमें से 50 फॉर्म ही हो पाए हैं। साइट चल रही है और 40 गांव हैं कैसे काम होगा। मैं फॉर्म लेकर कलेक्ट्रेट गया था, धाकरे साहब से मिला था उन्होंने कहा कि सभी आवेदन ले लो। सर्वर डाउन रहा तो 25 तक भी पूरे पंजीयन नहीं हो पाएंगे। हम तो यह कह रहे हैं चार ऑपरेटर रखवा दें।
सोनू, ऑपरेटर-पिपरौआ सोसायटी

पंजीयन के लिए सभी को विशेष निर्देश दिए गए हैं, यह भी कहा गया है कि किसी भी किसान को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद भी सोसायटी पर किसानों को सही व्यवहार नहीं मिल रहा है तो हम कार्रवाई प्रस्तावित करेंंगे। इसके साथ ही जिस सोसायटी पर ऑपरेटर ने किसानों को मना किया है, उस पर भी कार्रवाई होगी।
सीएस जादौन, जिला खाद्य एवं आपूति अधिकारी
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