गांव के लखपति की आयु 62 साल है उनके तीन बेटें हैं और तीनों सरकारी सेवा में है। बड़ा लडक़ा स्वास्थ्य विभाग में कंपाउडर है। दूसरा बेटा सुभाष सेना में है और तीसरा बेटा धीरसिंह संग्रहालय भोपाल में नौकरी करता है। इसी प्रकार अशर्फी लाल की आयु भी 62 साल है। उनका एक पुत्र रमेश शासकीय शिक्षक है। दूसरा शोभाराम सेवा निवृत्त है। अशर्फी की आयु कम दिखाकर मनरेगा का भुगतान निकाला गया है। बेटा रिटायर्ड और पिता की आयु 62 साल ये कैसे संभव है। पिता के नाम से मनरेगा का भुुुगतना किया गया है। इसी प्रकार पंचायत रिकार्ड में द्रोपती आयु 67 बताई गई है, जबकि उसके बेटे रामसिया को 80 साल का बताकर वृद्धावस्था पेंशन स्वीकृत कर दी गई है। जांच के दौरान द्रोपती ने रामसिया को पति की पहली पत्नी की संतान बताया था, जबकि द्रोपती के पति लटूरी की एक ही शादी हुई है।
जांच दल ने आठ माह पहले ही सौंप दी थी रिपोर्ट : ग्वालियर निवासी लक्ष्मीनारायण चौरसिया की शिकायत के आधार पर पंचायत समन्वय अधिकारी जगदीश प्रसाद, सहायक विकास अधिकरी एमके त्रिपाठी, खंड पंचायत अधिकारी सुरेंंद्रसिंह माहौर की ओर से जांच कर 8 माह पहले ही रिपोर्ट सांैप दी थी। रिपोर्ट में तत्समय के पंचायत सचिव और सहायक विकास विस्तार अधिकारी को भी दोषी माना था तथा लाभान्वित होने वालों से वसूली करने की अनुशंसा की थी।
आवास की प्रतीक्षा सूची से भी सरपंच-सचिव ने की छेड़छाड़
वर्ष 2012-13 की बीपीएल सूची के आधार पर प्रतीक्षा सूची बनाकर आवास दिए जाने थे। प्रतीक्षा सूची में रामप्रकाश पुत्र चिंरौजीलाल का नाम क्रं.8 पर है लेकिन उन्हें दरकिनार कर अन्य सगे संबंधियों को आवास का लाभ देकर रामप्रकाश को वंचित कर दिया गया। रिकार्ड में रामप्रकाश का पक्का मकान बताया गया है, जबकि उसका मकान कच्चा है। भगवान सिंह जाटव को आवास दिया गया है। भगवान सिंह का सरंपच से पारिवारिक रिश्ता है। इसी प्रकार अन्य लोगों को भी लाभ पहुंचाया गया है।
रिपोर्ट में सरंपच को पद से हटाने की अनुशंसा पर भी नहीं हुआ अमल
शिकायतकर्ता ने पंचायत की उन बैठकों के फोटो भी पेश किए थे जिनका संचालन महिला सरपंच सुनीता देवी के स्थान पर उसका पति भागचंद्र करता दिख रहा है, जबकि सरपंच सुनीता देवी ने अपने कथनोंं में साफ कहा है कि वे साक्षर हैं तथा पढऩा लिखना जानती है जांच दल ने इसे ग्राम पंचायत अधिनियम 1999 का उल्ल्ंाघन मानते हुए सरंपच को पद से हटाने की अनुशंसा की थी। इस संबंध में शासन ने आदेश भी जारी किए थे। 29 मई 2015 को महिला को सशक्त बनाने के लिए पंचायतों में 50 फीसदी का आरक्षण दिया गया था। पंचायत की बैठकों में पतियों या अन्य रिश्तेदारों का प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित किया गया है।
पंचायत में लाखों की गड़बड़ी हुई है। मेरी ओर से सप्रमाण शिकायत की गई है। उन बैठको के फोटो भी संलग्न है जिसमें पंचायत की बैठकों का संचालन सरपंच पति द्वारा किया गया है। जांच में ये साबित भी हुआ है। 8 माह बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। शासन को शिकायत कर दी है।
लक्ष्मीनारायण चौरसिया शिकायत कर्ता
जांच रिपोर्ट अभी हमारे संज्ञान में नहीं है। मैं रिपार्ट तलब कर रहा हूं। दोषियों पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आरपी भारती सीईओ जिला पंचायत भिण्ड