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मौसम में बार-बार बदलाव से बीमार हो रहे लोग, अस्पतालों में बढ़ी भीड़

locationग्वालियरPublished: Feb 12, 2019 01:25:20 am

-बुखार और निमोनिया से पीडि़तों की संख्या बढ़ी
– दमे और दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है सर्दी

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मौसम में बार-बार बदलाव से बीमार हो रहे लोग, अस्पतालों में बढ़ी भीड़

ग्वालियर। मौसम में बार-बार बदलाव से लोग बीमार हो रहे हैं, इससे अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। सर्दी, खांसी, जुकाम व बुखार के मरीज अधिक पहुंच रहे हैं। बच्चों पर सर्दी का असर ज्यादा हो रहा है। जयारोग्य अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों में बच्चों व बुजुर्गों की संख्या अधिक है। एक महीने में अस्पतालों में बुखार और निमोनिया से पीडि़तों की संख्या में दो गुना इजाफा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेज सर्दी हृदय रोगी और दमे के मरीजों के लिए खतरनाक है, उनका कहना है कि इस दौरान सावधानी ही बेहतर इलाज है।
जेएएच की पहुंच रहे रोज दो हजार मरीज
जयारोग्य अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार पिछले डेढ़ माह में मरीजों की संख्या बढ़ी है। आम दिनों में अस्पताल में 1200 से 1300 तक ओपीडी रहती है, वहीं इन दिनों 1700 से 2000 तक मरीज पहुंच रहे हैं। मुरार जिला अस्पताल में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यहां सबसे अधिक बुखार, खांसी से पीडि़त मरीज भर्ती हो रहे हैं।
लापरवाही न बरतें
विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी, उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी के मरीजों के लिए सर्दी परेशानी का कारण बन सकती है। इस मौसम में कोल्ड डायरिया, तेज बुखार, सांस की समस्या की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में एकमात्र उपाय उचित खानपान व पूरे शरीर को गर्म कपड़ों से ढंककर रखना है। डॉ.अनिल शर्मा के अनुसार इस मौसम में जरा सी लापरवाही बीमार कर सकती है।
दिल के रोगी रहें सावधान
हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि ठंड के कारण रक्त वाहिनियां सिकुड़ जाती हैं, ऐसे में दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए हृदय रोगियों को ठंड से बचना चाहिए और बहुत ठंड में सुबह की सैर पर नहीं जाना चाहिए। उनका कहना है कि सर्दियों में श्वसन संबंधी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसका हृदय पर भी प्रभाव पड़ता है। उनके अनुसार दिल की बीमारियों के मरीजों को टहलने से पहले पानी पीना चाहिए। अल्कोहल और कैफीन के सेवन से परहेज करें।
बच्चों में इंफेक्शन
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.आरडी दत्त के अनुसार सर्दी के मौसम में वायरस बहुत तेजी से सक्रिय होते हैं। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास पूरी तरह नहीं होता, इस कारण वे सर्दी, जुकाम, बंद नाक, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, गले और कान में इंफेक्शन जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं।
ऐसे बचाएं बच्चों को

– गरम कपड़े पहनाकर स्कूल भेजें।
-सुबह और शाम को फुल गरम कपड़े पहनाएं।
– भोजन में गुनगुना दूध, मक्खन आदि दें।
-जुकाम खांसी हो तो तत्काल शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
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