ग्वालियर

गजब है MP : 22 वर्षों से है शहर का दर्जा फिर भी अब तक नहीं है पहचान का कोई प्रमाण,खबर पढ़ आप भी रह जाएंगे हैरान

शहर में कुछ ऐसे परिवार भी हैं,जिनकी अधिकृत तौर पर कोई पहचान नहीं। मेला मैदान के पास सड़क किनारे पत्थर से रसोई की जरूरत का सामान बनाने वाले लोगों की भी

ग्वालियरJan 14, 2018 / 07:10 pm

monu sahu

people

ग्वालियर। शहर में कुछ ऐसे परिवार भी हैं,जिनकी अधिकृत तौर पर कोई पहचान नहीं। मेला मैदान के पास सड़क किनारे पत्थर से रसोई की जरूरत का सामान बनाने वाले लोगों की भी यही कहानी है। इन लोगों के कुछ परिवार पिछले दो दशक से शहर में निवासरत हैं, लेकिन इनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं, जिसे वे अपनी पहचान के प्रमाण के तौर पर पेश करके सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें। पत्थर के चकला, सिल-बट्टे, चक्की आदि बनाने वाले लोगों के कुछ परिवार शहर में २२ वर्ष पहले आए थे। तब से ये एक ही स्थान पर निवासरत हैं। जिन हालातों में ये लोग अपनी आजीविका चला रहे हैं और जिस तरह का इनका बसेरा है, उस लिहाज से ये गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में आते हैं, लेकिन इस बात का कोई अधिकृत प्रमाण इनके पास नहीं है।
यह भी पढ़ें

खाई में गिरी ट्रैक्टर-ट्राली,भाई की मौत,बहन और बुआ इस हाल में पहुंची अस्पताल



इसलिए किसी भी सरकारी योजना का लाभ इन्हें नहीं मिल रहा है। ये लोग अब स्थाई तौर पर शहर में बस चुके हैं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इन्हें यहां का नागरिक स्वीकार नहीं किया गया है। इनके पास न तो वोटर कार्ड हैं, न आधार कार्ड और न ही इनके परिवार की समग्र आईडी बनी है।
यह भी पढ़ें

भाजपा और कांग्रेस की यहां है चुनाव से पहले परीक्षा,अफसरों ने लिया पोलिंग बूथों का जायजा


इन लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने संबंधित वार्ड के पार्षद से मिलकर बीपीएल कार्ड बनवाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी गुहार को अनसुना कर दिया गया। मतदाता सूची में नाम जुड़वाने तथा आधार कार्ड जैसा जरूरी दस्तावेज बनवाने के संबंध में किए गए प्रयासों में भी इन्हें अब तक सफलता नहीं मिली।
यह भी पढ़ें

दान पुण्य का पर्व है मकर संक्रांति,ऐसे मनाए यह त्योहार



पढ़ नहीं पा रहे बच्चे
पहचान संबंधी प्रमाण नहीं होने के कारण इन लोगों के बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं। पत्थर का काम करने वाले लोगों ने बताया कि वे भी चाहते हैं कि उनके बच्चे भी पढ़ें, लेकिन स्कूल में प्रवेश के लिए सबसे पहले समग्र आईडी तथा अन्य दस्तावेजों की मांग की जाती है। चूंकि इस तरह के कागजात उनके पास नहीं हैं, इसलिए बच्चों को स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
यह भी पढ़ें

NH 92 : हाईवे पर डंपर ने मिनी ट्रक को मारी टक्कर,चार की मौत, गैस कटर से केबिन काटकर निकाली डेड बॉडी



कबाड़ में बीत रहा बचपन
पत्थर का काम करने वाले लोगों के बच्चों का बचपन कबाड़ बीनते हुए गुजर रहा है। शुक्रवार को बाल कल्याण समिति के पदाधिकारी जब इन परिवारों से मिलने पहुंचे तो उनके बच्चे पास ही कबाड़ बीनते नजर आए। समिति के पदाधिकारियों ने इस बारे में बातचीत की तो उनके माता-पिता ने अपनी मजबूरी की दास्तां सुनाई।
यह भी पढ़ें

MP में बढ़ी और सर्दी, कोहरे ने भी बढ़ाई लोगों की टेंशन,मौसम वैज्ञानिकों की कही यह बात उड़ा देगी आपके होश



“पत्थर का काम करने वाले परिवारों की स्थिति दयनीय है। उनके पास अपनी पहचान साबित करने के लिए कोई सरकारी दस्तावेज भी नहीं है। हमने उनके बच्चों को शिक्षा दिलाने की पेशकश की है। इन परिवारों के हित में सरकारी स्तर पर अन्य प्रयास भी किए जाएंगे।”
अमित जैन, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.