सभा की दूसरी प्रस्तुति में मुरैना से आए पंडित सुभाष देशपांडे का वायलिन वादन हुआ। उन्होंने राग जोगकोश में वादन की प्रस्तुति दी। संक्षिप्त आलाप के बाद उन्होंने इस राग में तीन गतें पेश कीं। विलंबित गत एक ताल में निबद्ध थी जबकि मध्यलय और द्रुत गत तीन ताल में निबद्ध थी। गायकी अंग पर आधारित आपका वादन न केवल मधुर था, बल्कि रागदारी की बारीकियों से भरा हुआ था। आपके साथ संजय राठौर ने बेहतरीन संगत का प्रदर्शन किया।