बरौआ निवासी राकेश सिंह एवं अन्य द्वारा याचिका प्रस्तुत करते हुए कहा गया कि चीफ इंजीनियर जल संसाधन विभाग भोपाल द्वारा गांव गोदल का पुरा के 179 परिवारों के तिघरा नहर की जमीन पर पुनर्वास की सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गई है। मुरैना जिले में आसन नदी पर निर्माणाधीन आसन बैराज के डूब क्षेत्र में आने से इन परिवारों को यहां बसाने के लिए यह कहते हुए स्वीकृति दी गई कि तिघरा बांध की नहर प्रणाली पिछले 30 साल से बंद पड़ी है। नहर के लिए अधिग्रहित जमीन नहर का संचालन न होने से विभाग के लिए अनुपयोगी हो गई है, इसलिए यहां बसाहट की जा सकती है।
याचिका में कहा गया कि इस नहर का ग्वालियर क्षेत्र में कुछ साल से सूखा पडऩे के कारण उपयोग नहीं हो सका है। नहर का निर्माण 1947 में बानमोर तक पानी पहुंचाने के लिए किया गया था। इसका उपयोग हजारों हैक्टेयर जमीन की सिंचाई के लिए किया जाता है। यह नहर ग्वालियर शहर को पानी की सप्लाई के लिए भी बनाई गई। जल संसाधन विभाग द्वारा जो स्थिति बताई गई है, तथ्य उसके विपरीत हैं। याचिका पर राज्य शासन की ओर से कार्यपालन यंत्री ओपी गुप्ता जल संसाधन विभाग द्वारा 20 नवंबर 2018 को जवाब प्रस्तुत कर कहा गया कि आसन बैराज के निर्माण के कारण ग्राम पुरा हथरिया की जमीन अधिग्रहित की गई है, जिसमें 179 परिवार विस्थापित हो गए हैं। उन्हें जमीन का मुआवजा देने के साथ ही भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास एक्ट 2013 की धारा 32 के तहत उनका पुनर्वास किया जाना है। इसे देखते हुए चीफ इंजीनियर यमुना कछार जल संसाधन विभाग भोपाल ने यह अनुमति दी है। यह अनुमति नगर निगम एवं ग्राम पंचायत की अनुमति के बाद दी गई है। वहीं जवाब में एक याचिका 902/23 जनवरी 2013 का हवाला देते हुए कहा गया कि उच्च न्यायालय ने ग्वालियर शहर में पानी की कमी को देखते हुए तिघरा के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए नहीं करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता का कहना था नहर का उपयोग केवल पीने के पानी की आपूर्ति के लिए ही किया जाएगा ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस जमीन के उपयोग के बदलाव के लिए न तो राज्य सरकार ने, न ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने कोई अनुमति दी है। यह भी कहा गया कि इस नहर का उपयोग नगण्य है। राज्य की ओर से यह कहा गया कि यह नहर बानमोर ग्राम तक है। यदि नहर को ध्वस्त भी कर दिया जाए तो भी सिंचाई पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि किसानों के पास व्यक्तिगत स्त्रोत हैं, इसलिए याचिका खारिज करने का आग्रह किया गया।